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बिना पेट्रोल-डीजल कैसे दौड़ेगी मुंबई? इस कारण से बंद हो रहे पेट्रोल पंप

बिना पेट्रोल-डीजल कैसे दौड़ेगी मुंबई? इस कारण से बंद हो रहे पेट्रोल पंप

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई...Editor

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक के बाद एक पेट्रोल पंप बंद हो रहे हैं. जो पेट्रोल पंप चालू हैं, वहां पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिए वाहनों की तादाद बढ़ रही है. स्थिति ये है कि पॉश इलाकों में रहने वाले लोगों को पेट्रोल भरवाने के लिए दूसरे इलाकों में जाना पड़ रहा है. ये हालात इसलिए हैं क्योंकि जिस जमीन पर पेट्रोल पंप हैं, उनकी जमीन आगे के लिए रिन्यू नहीं हो रही. बंद होने वाले ज्यादातर पेट्रोल पंप पॉश इलाकों वाले हैं, जहां कंपनी की कोशिशों के बाद भी जमीन का पट्टा रिन्यू नहीं हो रहा. इसकी सीधी वजह है जमीन की कीमतें बढ़ना. जमीन मालिकों का कहना है कि उन्हें पेट्रोल पंप के किराए से इतना फायदा नहीं हो रहा जितना उस जगह पर बनाई गई किसी प्रॉपर्टी से हो सकता है.

कितने पेट्रोल पंप बंद हुए?

जिस जमीन पर पेट्रोल पंप होते हैं, वहां हर 30 साल में जमीन का पट्टा रिन्यू करना पड़ता है. जमीन के पट्टे को लेकर 1998-99 के बीच सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया था, इसमें कहा गया था कि जिस कंपनी की वैल्यू एक हजार करोड़ रुपए से ऊपर की होगी, उस पेट्रोल पंप की जमीन दोबारा रिन्यू होगी या नहीं, इसका फैसला जमीन मालिक पर निर्भर करेगा. इसी एक्ट के चलते कई जमीन मालिक पंप की जमीन रिन्यू नहीं करा रहे हैं...फिलहाल ऐसे 25 पेट्रोप पंप की जमीन का मामला भी अदालत में है. मुंबई के 252 पेट्रोल पंपों में से 34 पिछले कुछ सालों में ही बंद हो चुके हैं जबकि 72 पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर हैं. और हो सकता है कि आने वाले दिनों में मुंबई के कोलाबा में रहने वाले व्यक्ति को सिर्फ पेट्रोल भरवाने के लिए बांद्रा या फिर कुर्ला जाना पड़े.

कैसे सुलझेगा मसला?

दिलशा असली, ये हैं पेट्रोल पंप मालिक, जिनका वर्ली इलाके में अपना पेट्रोप पंप हुआ करता था. साल 2010 में इनका पेट्रोल पंप भी बंद हो गया क्योंकि जमीन का पट्टा रिन्यू नहीं हुआ. मामला कोर्ट में गया लेकिन फैसला जमीन मालिक के हक में आया. दिलशा कहती हैं कि दिक्कतें लगातार बढ़ रही हैं, जमीन की किल्लत के कारण भविष्य में और भी पेट्रोल पंप बंद होंगे. मुंबई में पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एम वेंकट राव भी मानते हैं कि इस स्थिति से निपटने के लिए जल्द ही कोई उपाय तलाशना होगा. राव मानते हैं कि समस्या गंभीर है और सरकार और कंपनियों को इससे निपटने के लिए कोई ठोस प्लान तैयार करना चाहिए. राव का कहना है कि सरकार चाहे तो बस डिपो या सरकारी जमीन के आसपास पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति दे सकती है.

मांगे गए सुझाव

मामला गंभीर है. सरकार की जानकारी में है और इसलिए जिम्मेदार विभागों से सुझाव मांगे गए हैं.

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