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जानिए ग्रुप और इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस में क्‍या है फर्क

जानिए ग्रुप और इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस में क्‍या है फर्क

आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस...Editor

आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस की भूमिका बहुत अहम हो गई है। जिस प्रकार चिकित्सा की लागत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है उसको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भविष्य में इस खर्च में इजाफा होगा और अगर कभी किसी भी व्यक्ति या उसके परिवार को गंभीर बीमारी हो जाती है तो ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस ही काम आएगा।

अब भारत में ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस भी काफी लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि लोगों को इसके फायदों के बारे में जागरूकता हो रही है। इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस और फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस के विपरित ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में लोगों को अधिक कवरेज प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। सोसाइटी के सदस्य, कंपनी के कर्मचारी आदि को एक साथ इसके तहत फायदा पहुंचता है।

ग्रुप पॉलिसी के लाभ:

1. ग्रुप पॉलिसी कंपनी के कर्मचारियों के लिए एक नियोक्ता की तरफ से खरीदी जाती है।

2. ग्रुप मेडिक्लेम कवर नियोक्ताओं के साथ-साथ कर्मचारियों के लिए भी बहुत फायदेमंद हो सकता है, इसमें कई प्रकार की छूट मिलती हैं।

पहले दिन से प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी कवरेज

बिना किसी वेटिंग पीरियड के मैटरनिटी बेनिफिट

कुछ लाभों के लिए 2/4 साल का वेटिंग पीरियड

शुरू होने से पहले 30 दिनों की अवधि

इंडिविजुअल पॉलिसी के मुकाबले 25 फीसद सस्ती दरें

पॉलिसी में आमतौर पर पति या पत्नी और 25 वर्ष तक के बच्चे शामिल

माता-पिता को भी कवर कर सकते हैं

3. आमतौर पर कर्मचारियों को 3-5 लाख तक कवर

4. कम प्रीमियम पर ऑप्टिकल जांच, डेंटल चेकअप और मेंटल चेकअप जैसे खर्चों को उठाया जाता है।

5. ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में कर्मचारी को अधिक फायदा होता है, इसमें प्रीमियम भुगतान राशि नियोक्ता के साथ शेयर की जाती है और न्यूनतम प्रीमियम भुगतान पर बड़ा कवर मिलता है।

6. ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में किसी व्यक्ति को उसके पिछले स्वास्थ्य और क्लेम के अनुसार मेडिकल कवरेज मिलने की संभावना बहुत कम है।

7. नियोक्ता प्रीमियम के भुगतान पर टैक्स में छूट का लाभ भी उठा सकते हैं।

ग्रुप हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के साथ लें अपनी पॉलिसी: यहां हम उन कारणों के बारे में बता रहे हैं, जिनको देखते हुए कॉर्पोरेट ग्रुफ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ इंडिविजुअल पॉलिसी भी लेनी चाहिए।

नौकरी बदलने की स्थिति में आपके पास कोई भी मेडिकल कवर नहीं रहता है तो ऐसे में ट्रीटमेंट लेना बहुत महंगा साबित हो सकता है। इसी के साथ वेटिंग पीरियड के साथ माता-पिता को कवरेज नहीं मिल सकता है।

एक इंडिविजुअल इंश्योरेंस पॉलिसी पॉलिसी जारी रहने के चार साल बाद पहले से मौजूद बीमारियों की पूरी कवरेज देना शुरू कर देती है।

रिटायरमेंट के वक्त 60 साल की उम्र में कॉर्पोरेट हेल्थ कवर खत्म हो जाता है। इस उम्र में हेल्थ पॉलिसी को लेना बहुत मुश्किल होता है जो पहले से मौजूद बीमारियों का कवरेज भी दें।

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