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बढ़ रही है इंडियन मेड व्हिस्की की दीवानगी, बिक्री में चार साल की सबसे तेज बढ़त

बढ़ रही है इंडियन मेड व्हिस्की की दीवानगी, बिक्री में चार साल की सबसे तेज बढ़त

भारत में व्हिस्की की बिक्री...Editor

भारत में व्हिस्की की बिक्री फिर से रफ्तार पकड़ चुकी है. साल 2014 से 2018 के बीच व्हिस्की की बिक्री में 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़त हुई है. साल 2018 में व्हिस्की की बिक्री में 11 फीसदी की बढ़त हुई है, जो पिछले चार साल में सबसे ज्यादा है.

साल 2018 में दुनिया भर में बिके हर पांच व्हिस्की केस में से तीन भारत में बने व्हिस्की थे. इसके पहले हाईवे पर शराब बेचने पर लगी रोक की वजह से व्हिस्की की बिक्री में मामूली गिरावट आई थी. इंटरनेशनल वाइन ऐंड स्पिरिट रिसर्च सेंटर (IWSR) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में भारतीय व्हिस्की के करीब 17.60 करोड़ केस की बिक्री हुई.

जानकारों का कहना है कि भारतीय लोग व्हिस्की जैसे स्ट्रॉन्ग ड्रिंक पसंद करते हैं जो उन्हें तत्काल सुरूर दे सके. व्हिस्की भारतीयों की पसंदीदा शराब है, हालांकि दक्षि‍ण भारत में ज्यादा ब्रांडी पसंद की जाती है. कॉकटेल में भारतीय लोग जिन और वोदका जैसे ड्रिंक पसंद करते हैं.

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, दुनिया भर में सबसे ज्यादा बिकने वाला व्हिस्की ब्रांड अलाइड ब्लेंडर्स (एबीडी) का ऑफिसर्स च्वाइस है, जिसके 3.4 करोड़ केस की बिक्री हुई. एबीडी की बिक्री में ऑफिसर्स च्वाइस का हिस्सा करीब 90 फीसदी है.

भारत के पास अपना ऐसा कोई प्रभावी शराब का प्रकार नहीं है जैसे कि चीन का बायजू या रूस का वोदका. लेकिन भारतीय बाजार में कई तरह के यूरोपीय शराब का उत्पादन किया जाता है जिसे इंडियन मेड फॉरेन लिकर या आईएमएफएल कहा जाता है.

भारतीय बाजार के करीब 90 फीसदी व्हिस्की सेगमेंट में एबीडी, यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड और परनोड रिकॉर्ड के कई ब्रांड का कब्जा है. पिछले साल बिक्री में जो बढ़त देखी गई है, उसकी काफी हद तक वजह बेस कमजोर होना है. असल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईवे के किनारे शराब बिक्री पर रोक लगाने की वजह से साल 2017 में बिक्री में गिरावट आई थी.

थोड़े समय बाद कोर्ट ने अपने ऑर्डर को लेकर क्लैरिफिकेशन जारी किया, शराब की बिक्री की शर्तों को उदार बनाया और शराब के कई आउटलेट्स को दोबारा खोले जाने की इजाजत दी. पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकार ने दिल्ली, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु की तरह सिर्फ सरकारी कंपनियों के जरिए ही शराब की बिक्री की इजाजत दी, जिससे कारोबार को लेकर अनिश्चितता बढ़ी थी.

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