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टाटा मोटर्स ने रिसर्च पर जितना खर्च किया, बाकी टॉप 9 कंपनियां मिलकर नहीं कर पाईं

टाटा मोटर्स ने रिसर्च पर जितना खर्च किया, बाकी टॉप 9 कंपनियां मिलकर नहीं कर पाईं

भारतीय कंपनियों द्वारा रिसर्च...Editor

भारतीय कंपनियों द्वारा रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) पर खास ध्यान देने के साथ ही टाटा मोटर्स आरएंडी पर खर्च करने वाली दुनिया की 100 टॉप कंपनियों में शामिल हो गई है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक रिसर्च पर खर्च करने में टाटा मोटर्स दुनिया भर में 99वें स्थान पर है, लेकिन अगर इसमें उसकी सहायक कंपनी जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) के खर्च को जोड़ लें तो कंपनी का दुनिया में 13वां स्थान है. ये किसी भी भारतीय कंपनी के लिए बेहद प्रभावशाली स्थिति है.

बीते साल जेएलआर सहित टाटा मोटर्स ने 19,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो भारत की टॉप 10 में शामिल बाकी नौ कंपनियों के खर्च के जोड़ से भी अधिक है. इस सूची में सन फार्मा 104वें, महिंद्रा एंड महिंद्रा 114वें, लुपिन 120वें और डॉ रेड्डीज 121वें स्थान पर है. वैसे दुनिया भर की बात करें तो सूची में अमेरिका और जापान की कंपनियों का दबदबा बना हुआ है और चीन की कुछ कंपनियां भी इसमें शामिल हैं.

लंबा है सफर

माना जाता है कि भारतीय कंपनियां आरएंडडी पर तभी निवेश करती हैं जबकि वो ऐसा करने के लिए बाध्य होती हैं. आरएंडडी पर निवेश करने वाली भारत की टॉप 10 कंपनियों में पांच फार्मा क्षेत्र की हैं और तीन आटोमेटिव क्षेत्र से हैं. ये वो क्षेत्र हैं जहां उद्योग वैश्विक प्रतिस्पर्धा, उद्योग की चुनौतियों या नियामक अनिवार्यताओं के चलते आरएंडडी में निवेश जरूरी है.

साफ है कि भारतीय कंपनियां आरएंडडी पर निवेश कर तो रही हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में आह्वान किया गया था कि भारत को आरएंडडी पर निवेश दोगुना करना चाहिए. सर्वे के मुताबिक जीडीपी के अनुपात में आरएंडडी पर खर्च पिछले दो दशक के दौरान 0.6 से 0.7 प्रतिशत के बीच ही है. ये राशि बेहद कम है. अमेरिका में ये आंकड़ा 2.8 प्रतिशत, चीन में 2.1 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया में 4.2 प्रतिशत और इस्राइल में 4.3 प्रतिशत है.

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