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पीएम की आज अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक, टैक्स छूट सीमा में हो सकती है बढ़ोतरी

पीएम की आज अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक, टैक्स छूट सीमा में हो सकती है बढ़ोतरी

आगामी आम बजट आने से करीब तीन...Editor

आगामी आम बजट आने से करीब तीन सप्ताह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास दर और रोजगार बढ़ाने के लिए उठाए जाने योग्य कदमों पर विचार-विमर्श करने के लिए नीति आयोग में प्रमुख अर्थशास्त्रियों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों से मुलाकात करेंगे।


एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक इस बैठक में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन और सदस्य, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, अर्थशास्त्री और क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि सरकारी अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर 6.5 फीसदी रह सकती है, जो चार साल का निचला स्तर है। विकास दर 2016-17 में 7.1 फीसदी रही थी और उससे पिछले वित्त वर्ष में आठ फीसदी थी।

2014-15 में विकास दर 7.5 फीसदी थी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगे। यह 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का आखिरी बजट होगा।
मध्यम वर्ग के लिए उम्मीदों भरा हो सकता है आगामी बजट
आगामी बजट (2018-19) मध्यम वर्ग के लिए उम्मीदों भरा हो सकता है, क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय व्यक्तिगत कर छूट की सीमा को बढ़ाने और कर के स्लैब में सुधार करने पर विचार कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि कर छूट सीमा को मौजूदा सालाना 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर पांच नहीं तो कम से कम तीन लाख करने का प्रस्ताव मंत्रालय के पास है।

इसके अलावा, मंत्रालय मध्य आय वर्ग खासकर वेतन भोगियों को पर्याप्त राहत प्रदान करने के लिए कर स्लैब के सुधार पर भी सक्रियतापूर्वक विचार कर रहा है। इससे उनपर खुदरा महंगाई का असर कम होगा, जिसमें बढ़ोतरी देखी जा रही है।

पिछले बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन सालाना 2.5-5 लाख की आय वालों के कर की दर को 10 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर छोटे करदाताओं को मामूली राहत दी थी।

एक फरवरी को जारी होने वाले बजट में केंद्र सरकार 5-10 लाख रुपये सालाना आय वालों के लिए कर की दर 10 फीसदी कर सकती है। वहीं, 10-20 लाख रुपये के बीच सालाना की आय पर 20 फीसदी का कर लगा सकती है और 20 लाख से अधिक आय पर 30 फीसदी का कर लगा सकती है। वर्तमान में, सालाना 10-20 लाख रुपये की आय वालों के लिए कोई अलग टैक्स स्लैब नहीं है।

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