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बाबा विश्वनाथ के प्रसाद के नाम पर ठगे जा रहे हैं काशी आने वाले श्रद्धालु

बाबा विश्वनाथ के प्रसाद के नाम पर ठगे जा रहे हैं काशी आने वाले श्रद्धालु

वाराणसी. ठगों ने बनारस...Public Khabar

वाराणसी. ठगों ने बनारस आकर बाबा काशी विश्वनाश के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भी नहीं बख्सा. प्रसाद के नाम पर उनसे भी धोखाधड़ी हो रही है. बाबा के दरबार में सिर्फ देश से ही नहीं बलकी विदेश से भी हजारों कजी संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने काशी पहुँचते हैं.

एक चौंकाने वाले खुलासे में जो बात सामने आई है वह बेहद ही निराश करने वाली है. काशी विश्वनाथ मंदिर में बिना बाबा को भोग लगाए प्रसाद बेचा जा रहा है. इस बात से अंजान श्रद्धालु प्रसाद के रूप में मिठाई की कीमत चुका रहे हैं.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के वरिष्ठ सदस्य व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रसाद दीक्षित ने कहा कि उन्हें इस प्रकरण की जानकारी नहीं है लेकिन यदि ऐसा हो रहा है तो यह गम्भीर मामला है. वे इसे न्यास परिषद की बैठक में उठायेंगे. इस दिशा में सकारात्मक कार्रवाई का प्रयास भी करेंगे.

पिछले दिनों न्यास ने प्रस्ताव पारित कर गाय के शुद्ध दूध से प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी पराग डेयरी को सौंपी थी. परिषद के निर्देश पर पराग कम्पनी ने तीन प्रकार के डिब्बे जिसकी कीमत 20, 50 तथा 151 रुपये थी उसको बनवाकर मंदिर प्रशासन को आपूर्ति शुरू कर दी. मंदिर प्रशासन ने इसकी बिक्री के लिए परिसर में एक काउण्टर खोला और आसपास के प्रसाद विक्रेताओं को भी उपलब्ध कराया.

मंदिर न्यास के अध्यक्ष आचार्य पं. अशोक द्विवेदी ने बैठक में यह स्पष्ट कर दिया था कि पराग के प्रसाद का भोग पहले बाबा को लगाया जायेगा फिर उसकी बिक्री की जायेगी. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. पराग से आये प्रसाद के डिब्बे भोग लगवाये बिना ही सीधे विक्रेताओं के पास पहुंच जाते हैं और उसे श्रद्धालुओं को बेच दिया जाता है.

मंदिर में स्थापित प्रसाद वितरण केन्द्र में हमेशा ताला ही बंद रहता है. यहां नियुक्त मंदिर कर्मचारी की ड्यूटी दूसरे कामों में लगा दी जाती है. मंदिर के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखिलेश कुमार ने बताया कि इस विषय में उन्हें जानकारी नहीं है. उन्होंने इसे गम्भीर प्रकरणबताते हुए न्यास की बैठक तक इंतजार करने की बात कही. कहा कि इस विषय को संज्ञान में लेकर उचित कार्रवाई की जायेगी.

दूसरी तरफ श्रद्धालुओं का कहना है कि बाबा के दरबार में चढ़े बिना कैसा प्रसाद. बिना भोग लगे वह तो सिर्फ मिठाई ही है. बावजूद इसके दूर-दराज से आने वाले भक्त सिर्फ डिब्बे पर ''श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रसाद' लिखा देखकर इसे खरीद कर ले जाते हैं. परिजनों में वितरण कराते है जो उनकी आस्था और श्रद्धा के साथ खिलवाड़ है.

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