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यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप को मिली 'सजा-ए-मौत'

यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप को मिली सजा-ए-मौत

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दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश माने जाने वाले देश अमेरिका के राष्ट्रपति को मौत की सजा सुनाई गई है. ये सजा सुनाने वाला कोई और नहीं बल्कि अमेरिअक के जानी दुश्मन बन चुके देश नार्थ कोरिया की मीडिया है. जिस देश का मुखिया ही अजीब-अजीब फैसले लेता हो उस देश में कुछ भी हो सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने उत्तर कोरिया के तानाशाह मार्शल किम जोंग उन की शान में गुस्ताखी की तो उत्तर कोरिया की मीडिया ने फौरन ट्रंप को फरार मुजरिम घोषित करते हुए ट्रंप को मौत की सजा सुना दी है. उत्तर कोरिया की मीडिया का कहना है कि उनके मार्शल के खिलाफ की जाने वाली बातें संगीन गुनाह के दायरे में आती हैं. जिसके लिए मौत से कम कोई सजा नहीं है.

किसी को नाटा या फिर मोटा कहने की सज़ा क्या हो सकती है? या यूं कहें कि किसी को उसके हुलिए या कद काठी की वजह ज़लील करने का गुनाह कितना संगीन है? संगीन है भी या नहीं? दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में इस गुनाह की सज़ाएं अलग-अलग होंगी, लेकिन उत्तर कोरिया में उसके तानाशाह मार्शल किम जोंग उन को नाटा और मोटा कह कर बेइज्जत करने की एक ही सज़ा है और वो है सज़ा ए मौत.
उत्तर कोरिया अपने शासक मार्शल किम जोंग उन की इस बेइज्ज़ती के बदले दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स को यही सज़ा देना चाहता है. जी हां, सबसे ताकतवर शख्स यानी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को. कम से कम उत्तर कोरिया की सत्ताधारी पार्टी यानी किम जोंग उन की अपनी पार्टी के अख़बार तो यही कहना है.
पांच एशियाई देशों के दौरे पर ट्रंप ने कथित तौर पर किम जोंग उन को ना सिर्फ़ एक बेरहम तानाशाह करार दिया था, बल्कि उसे नाटा और मोटा कह कर भी पुकारा था. अब ट्रंप के इसी तेवर के बदले किम जोंग उन के अख़बार ने जो टिप्पणी की है, वो किसी का भी दिमाग़ घुमा देने के लिए काफ़ी है.
किम के अख़बार रोडोंग सिनमुन ने एक तीखे संपादकीय में लिखा है "ये एक बेहद संगीन गुनाह है, जिसकी कोई माफ़ी नहीं है. उसने जानबूझकर हमारे सबसे बड़े नेता की शान में ग़ुस्ताख़ी की है. उसे समझना चाहिए अब उसकी हैसियत कोरियाई लोगों के लिए एक फ़रार मुजरिम से अलग कुछ भी नहीं है."
वैसे तो हाल के सालों में अमेरिका के साथ उत्तर कोरिया के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे, लेकिन जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, दोनों मुल्कों के बीच की लड़ाई दो नेताओं के बीच की लड़ाई में भी तब्दील हो चुकी है और ये दुनिया के लिए दोहरा ख़तरा है.
खबरों के मुताबिक अपने एशियाई दौरे के आख़िरी चरण में जब डोनाल्ड ट्रंप हनोई में थे, तब उन्होंने कथित तौर पर किम जोंग उन के वज़न और लंबाई को लेकर तंज़ किया था. हालांकि बाद में ट्रंप ने इससे इनकार भी किया. लेकिन ट्रंप के इस तंज़ की उत्तर कोरिया में ख़ास कर किम जोंग उन के चाहनेवालों के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई.
उत्तर कोरिया को नज़दीक से जाननेवाले लोग बताते हैं कि किस तरह किम जोंग उन का परिवार सालों से देश के करोड़ों लोगों पर एक छत्र राज कर रहा है और किस तरह किम जोंग उन का पूरे के पूरे ख़ानदान को ही उत्तर कोरिया में भगवान के बराबर दर्जा हासिल है. ऐसे में अगर कोई उनके भगवान यानी किम जोंग उन को मोटा और ठिगना कह कर चिढ़ाता है, तो वहां तीखी प्रतिक्रिया का होना लाज़िमी है.
दोनों मुल्कों और दोनों नेताओं के बीच की लड़ाई किस हद तक जा चुकी है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्रंप के उत्तर और दक्षिण कोरिया के सीमावर्ती इलाक़ों के दौरे के रद्द होने के पीछे भी ये उत्तर कोरियाई अखबार अपने मुल्क की फ़ौज के ख़ौफ़ का नतीजा बता रहा है.
असल में अपने एशिया दौरे के क्रम में ट्रंप को दोनों देशों के बॉर्डर का भी दौरा करना था. लेकिन ख़राब मौसम की वजह से उनका हेलीकॉप्टर वापस चला गया. अब उत्तर कोरिया के अख़बार का कहना है कि ये दरअसल ट्रंप का ख़ौफ़ था कि नॉर्थ कोरिया की तरफ़ फटकने से भी घबरा गया. क्योंकि उसे पता है कि उत्तर कोरिया की फ़ौज अपने दुश्मनों के लिए कितनी ख़तरनाक है.

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