Analysis: बजट में जेटली खोल सकतें हैं शिक्षा, रोजगार और कृषि क्षेत्र के लिए खजाना
- In रीडर्स ब्लॉग 1 Feb 2018 7:35 AM GMT
नई दिल्ली । हर वर्ष बजट से पहले जारी होने वाली आर्थिक समीक्षा नि:संदेह ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर सबसे प्रामाणिक और उत्कृष्ट दस्तावेज होती है। पिछले कुछ वर्षों से इसकी गुणवत्ता में और भी अधिक सुधार आया है। इसका एक कारण यह भी है कि सरकार पहले की अपेक्षा अधिक पारदर्शिता से आर्थिक डाटा जारी कर रही है। पहले की समाजवादी परंपरा में बजट में क्या होने वाला है, गोपनीय रखा जाता था। दूसरे शब्दों में कहें तो सरकार और नौकरशाह, दोनों देश की जनता और व्यापारियों को एक तरह से शत्रु मानते थे, परंतु अब यह दिख रहा है कि मोदी सरकार इस परंपरा को खत्म कर रही है। सरकार का मानना है कि बजट को अधिक से अधिक पारदर्शिता और मंत्रणा से बनाया जाना चाहिए और इसके इर्दगिर्द बेवजह की गोपनीयता और उत्साह समाप्त होने चाहिए। वित्त वर्ष 2017-18 की आर्थिक समीक्षा भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाती हुई सरकार की आर्थिक सोच और विश्लेषण को सार्वजनिक करती है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक विकास की दर 6.75 प्रतिशत रहेगी। साल की पहली छमाही में नोटबंदी और जीएसटी का आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव साल के उत्तरार्द्ध में कमतर हुआ है, आर्थिक सूचकांक फिर से ऊपर उठ रहे हैं और व्यापक आर्थिक स्थिरता बरकरार है। वितीय घाटा, व्यापार घाटा और मुद्रास्फीति नियंत्रण में हैं तो विदेशी निवेश और विदेशी मुद्रा भंडार अपने शिखर पर हैं।