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जीवनभर किया शिक्षा का दान, अब स्कूल के छह बच्चों के नाम की सारी संपत्ति और मकान

जीवनभर किया शिक्षा का दान, अब स्कूल के छह बच्चों के नाम की सारी संपत्ति और मकान

मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने...Editor

मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली एक दिव्यांग शिक्षिका बरसों से गरीब बच्चों को शिक्षा का दान तो कर ही रही है, लेकिन अब उन्होंने अपनी करोड़ों रुपये की संपत्ति भी उन्हीं में से 6 मेधावी बच्चों के नाम कर दी। वे दोनों पैरों से लाचार और हड्डियों की गंभीर बीमारी के कारण बेहद परेशान हो गई हैं। पूरी तरह से दूसरों पर आश्रित हो जाने से उन्होंने मोह-माया त्याग अपनी अचल संपत्ति और पैसा स्कूल के गरीब बच्चों के नाम कर दिया। अपनी वसीयत भी तैयार करवा ली। अपने स्कूल के ऐसे 6 बच्चों को अपना उत्तराधिकारी तय कर दिया है जो पढ़ने में बेहद अच्छे हैं।

इस हालत में भी जा रही हैं रोज स्कूल

इंदौर की जबरन कॉलोनी के मिडिल स्कूल में कार्यरत शिक्षिका 45 वर्षीय चंद्रकांता जेठवानी ऑस्टिओजेनेसिस इमपरफेक्टा बीमारी से जूझ रही हैं। इसमें हड्डियां इतनी कमजोर होती हैं कि थोड़ा सा धक्का लगने से ही टूट जाती हैं। बचपन से ही वे दोनों पैरों से दिव्यांग हैं, लेकिन स्कूल में हमेशा बच्चों की पढ़ाई के लिए समर्पित रहीं। चंद्रकांता विनय नगर स्थित मकान में रहती हैं। 8 महीने पहले घर में गिर जाने से उनके शरीर की 6 हड्डियां टूट गई। इसके बाद वे पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो गई। परिवार में अन्य सभी सदस्यों की मौत हो जाने से वे घर में अकेली रह रही हैं। उन्हें डर है कि अकेले में घर में कुछ हो गया तो किसी को पता भी नहीं चलेगा।

'ए ग्रेड' के बच्चों को बनाया वसीयत में उत्तराधिकारी

चंद्रकांता ने हाल ही में अपना मकान, अन्य संपत्ति और बैंक-बैलेंस अपने स्कूल के छह बच्चों के नाम कर दिया है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये की संपत्ति के लिए उन्होंने बाकायदा रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर 6 बच्चों के नाम अपनी वसीयत बनवाई है। परीक्षा में 'ए ग्रेड' लाने वाले बच्चों का चयन किया है। इनमें 5 मुस्लिम लड़के हैं और एक हिंदू लड़की है। सभी बच्चों की उम्र 18 साल (बालिग) होने पर उनके हिस्से का पैसा बैंक में जमा किया जाएगा।

पूरा परिवार खत्म, अकेलेपन से घबरा गई

चंद्रकांता के परिवार में माता-पिता और दो बड़े भाई थे। सभी की अलग-अलग कारणों से मृत्यु हो चुकी है। बड़ी बहन उषा मुंबई के गुरुद्वारे में सेवा करती है। बिलकुल अकेली चंद्रकांता का 24 घंटे में सिर्फ चार बार घरेलू नौकरानी आकर खाना-पीना और नित्यकर्म करवाती है। नौकरानी के छुट्टी करने पर खाने- पीने और बाथरूम तक जाने से भी मोहताज हो जाती हैं।

इस हालत में भी राज जाती हैं स्कूल

चंद्रकांता अपने से खुद से न उठ सकती हैं न बैठ सकती हैं। लेकिन अब भी वह स्कूल जा रही हैं। चुनाव के चलते स्कूल में शिक्षकों की मौजूदगी जरूरी है। घर में काम करने वाली नौकरानी उन्हें व्हीलचेयर सहित ऑटोरिक्शा में बैठाती है। स्कूल में दो लोग उतारते हैं। दिनभर स्कूल में व्हीलचेयर पर बैठकर ड्यूटी दे रही हैं।

जून में व‌र्ल्ड कप देखकर शांति से मरूंगी

वे कहती है कि चुनाव होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इच्छा मृत्यु की मांग का पत्र पोस्ट करूंगी। जून में क्रिकेट व‌र्ल्ड कप देखने के बाद मरने की इच्छा है।

आत्महत्या नहीं कर सकती क्योंकि मैं प्रेरणा हूं

चंद्रकांता कहती हैं कि मैं आत्महत्या नहीं करूंगी क्योंकि मैं लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हूं। इतने विपरित हालात में भी जीवटता के साथ जिया जा सकता है। इसके साथ ही मैंने देहदान और नेत्रदान का भी शपथ पत्र भरा है, जिसके लिए सामान्य मौत होना जरूरी है।

क्या है ऑस्टिओजेनेसिस इमपरफेक्टा

इस बीमारी में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि थोड़ा सा धक्का लगने से ही टूट जाती हैं। बचपन से ही वे दोनों पैरों से दिव्यांग हैं, लेकिन स्कूल में हमेशा बच्चों की पढ़ाई के लिए समर्पित रहीं।

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