अक्षय तृतीया पर दान का विशेष महत्व, जानिए किन वस्तुओं का दान बदल सकता है आपका भाग्य

अक्षय तृतीया केवल एक शुभ तिथि ही नहीं बल्कि पुण्य संकल्पों को साकार करने का स्वर्णिम अवसर भी है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इस दिन किया गया दान अक्षय फल देता है, अर्थात इसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। जिस प्रकार इस दिन की गई खरीदारी समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है, उसी प्रकार दान से व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से संपन्न होता है और देवताओं के साथ-साथ पितरों की कृपा भी प्राप्त करता है।
यह दिन देव-पितृ तर्पण और वैश्विक कल्याण के लिए समर्पित होता है। ऐसे में यदि आप चाहें कि आपके घर में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य का वास बना रहे, तो इस दिन दान ज़रूर करें। विशेष रूप से कुछ वस्तुएँ ऐसी मानी गई हैं, जिनका दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है और जीवन की बाधाओं को दूर करता है।
ये वस्तुएँ अक्षय तृतीया पर ज़रूर करें दान
1. जल से भरे घड़े (कलश): मिट्टी या तांबे के घड़े में ठंडा जल भरकर उसे किसी ज़रूरतमंद या ब्राह्मण को दान करें। यह दान तपन को शांत करता है और शरीर को रोगों से बचाता है।
2. सत्तू, चना और गुड़: सत्तू और चना शरीर को ठंडक देने वाले खाद्य पदार्थ हैं। अक्षय तृतीया पर इनका दान करना स्वास्थ्य और पितृ कृपा का प्रतीक माना जाता है।
3. छाता, चप्पल और वस्त्र: तपती गर्मी में छाता या चप्पल किसी ज़रूरतमंद को देना सबसे उत्तम दान माना गया है। यह न केवल मानवीय संवेदना का प्रतीक है बल्कि देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा दिलाता है।
4. फल और मिठाइयाँ: इस दिन मौसमी फल और घर में बनी मिठाइयाँ मंदिरों या निर्धनों में वितरित करें। यह शुभ कार्य नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और पारिवारिक सुख बढ़ाता है।
पंखा या शीतल जल की व्यवस्था: कहीं सार्वजनिक स्थान पर जल की व्यवस्था या पंखे दान करना बहुत ही पुण्यकारी माना गया है। यह कार्य पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।
दान का सही तरीका और धार्मिक दृष्टिकोण
दान हमेशा श्रद्धा और सच्चे मन से करना चाहिए। अभिमान या दिखावे का भाव उसमें नहीं होना चाहिए, अन्यथा उसका फल नष्ट हो जाता है। ब्राह्मण, गाय, ज़रूरतमंद, वृद्ध व्यक्ति और कन्या को दिए गए दान को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन सूर्य को अर्घ्य देकर, तिल के जल से स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर दान करें, तभी उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।
धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णन है कि पांडवों ने इसी दिन श्रीकृष्ण के कहने पर 'अक्षय पात्र' की स्थापना की थी, जिससे उन्हें कभी अन्न की कमी नहीं हुई। यही कारण है कि यह दिन दातृत्व का प्रतीक बन गया है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।