गंगा दशहरा 2025, जानिए गंगा मैया के धरती पर अवतरण की तिथि, धार्मिक महत्व और शुभ कर्म

गंगा दशहरा 2025, जानिए गंगा मैया के धरती पर अवतरण की तिथि, धार्मिक महत्व और शुभ कर्म
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हिन्दू धर्म के अनुसार ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन माँ गंगा का स्वर्ग से धरती पर अवतरण हुआ था। इस महान घटना की स्मृति में प्रतिवर्ष गंगा दशहरा का पर्व पूरे भारतवर्ष, विशेषकर उत्तर भारत में, श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इसे गंगा अवतरण दिवस के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगाजल में स्नान करने मात्र से दस प्रकार के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

गंगा दशहरा केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि प्रकृति और आध्यात्मिकता के अद्भुत समन्वय का पर्व है। यह दिन हमें माँ गंगा की महिमा, शुद्धता और उनके जीवनदायिनी स्वरूप की स्मृति कराता है। इस पवित्र तिथि को हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, ऋषिकेश जैसे तीर्थस्थलों पर लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर अपने जीवन को पवित्र करने की भावना से ओतप्रोत होते हैं।

गंगा दशहरा 2025 में कब है? जानिए शुभ तिथि और मुहूर्त

गंगा दशहरा 2025 की तिथि:

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस बार गंगा दशहरा 9 जून 2025, सोमवार को मनाया जाएगा।

स्नान और दान का शुभ समय:

दशमी तिथि की शुरुआत और अंत सूर्य उदय के समय से जुड़ी होती है, अतः प्रातःकाल गंगा स्नान, ध्यान और दान करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इस दिन नदी या घर पर गंगाजल से स्नान करने के बाद गाय, ब्राह्मण, और ज़रूरतमंदों को अन्न, जल, पंखा, वस्त्र और शीतल पेय पदार्थों का दान करना चाहिए।

गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व और पूजन विधि

गंगा दशहरा का अर्थ है “दश” यानी दस और “हरा” यानी नाश करना — अर्थात् यह पर्व दस पापों का नाश करने वाला दिन माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि राजा भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माँ गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया और फिर उसे पृथ्वी पर छोड़ा। इस अवतरण से न केवल राजा सगर के पुत्रों का उद्धार हुआ, बल्कि संपूर्ण पृथ्वी पवित्र हो गई।

इस दिन पूजन की विधि में गंगाजल से स्नान, माँ गंगा की प्रतिमा या चित्र का पूजन, सफेद पुष्प, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पण करना शामिल होता है। गंगा स्तोत्र और गंगा आरती का पाठ कर देवी से पाप क्षय और मोक्ष की कामना की जाती है।

क्यों करें इस दिन गंगा स्नान और दान?

गंगा जल को हिन्दू धर्म में अमृत तुल्य माना गया है। इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन जल से भरे घड़े, छाता, पंखा, जूते-चप्पल, गुड़, चावल और शीतल पेय पदार्थ दान करने से सौगुना पुण्य प्राप्त होता है। यह दान सूर्य की तेज़ी से होने वाली गर्मी से राहत देने के साथ-साथ सामाजिक सेवा का भी प्रतीक है।

गंगा दशहरा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि पर्यावरण और जीवन शुद्धि का भी संदेश देता है। यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति श्रद्धा, सेवा और संयम की भावना को सशक्त करता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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