6 माह बाद खुले बाबा केदारनाथ के कपाट, अखंड ज्योति और दिव्य श्रृंगार ने भाव-विभोर किए श्रद्धालु

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित पवित्र केदारनाथ धाम के कपाट छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद पुनः 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया के पावन दिन पर विधिवत मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। बाबा केदार के इस दिव्य धाम के कपाट खुलने का भक्तों को वर्षभर इंतजार रहता है। हिमालय की गोद में बसे इस प्राचीन ज्योतिर्लिंग के पुनः दर्शन पाकर भक्तों की आंखें नम और हृदय भावविभोर हो उठा।
केदारनाथ धाम न केवल एक तीर्थ स्थान है, बल्कि यह श्रद्धा, भक्ति और चमत्कार का जीवंत प्रतीक भी है। कपाट खुलते ही मंदिर में जो अखंड ज्योति दिखाई देती है, उसे शिव का जीवंत स्वरूप माना जाता है। यह दीपक मंदिर के कपाट बंद होने के समय प्रज्ज्वलित किया जाता है, और आश्चर्यजनक रूप से यह बिना बुझाए लगातार छह महीने तक जलता रहता है, जो भक्तों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।
क्या है बाबा केदार का ‘भीष्म श्रृंगार’?
भीष्म श्रृंगार, केदारनाथ मंदिर की पूजा परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है। कपाट बंद होने से पहले बाबा केदार को इस विशेष श्रृंगार से अलंकृत किया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग 5 घंटे से भी अधिक समय लगता है। श्रृंगार के अंतर्गत बाबा की प्रतिमा को विशेष वस्त्रों, प्राकृतिक फूलों और सुगंधित जड़ी-बूटियों से सजाया जाता है।
इस श्रृंगार को "भीष्म" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह श्रृंगार ठंड के पूरे मौसम के लिए होता है, जब मंदिर के पट बंद रहते हैं और हिमाच्छादित घाटी में कोई मानवीय उपस्थिति नहीं होती। यही श्रृंगार कपाट खुलने के बाद भी पहले दर्शन में भक्तों को दिखता है।
बाबा के दरबार में उमड़ा आस्था का सैलाब
कपाट खुलने के साथ ही केदारनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दूर-दूर से आए हजारों भक्तों ने मंदिर के पहले दर्शन किए और बाबा के भीष्म श्रृंगार और अखंड ज्योति के दर्शन कर अपने को धन्य माना। मंदिर परिसर में मंत्रोच्चार, ढोल-नगाड़े और वैदिक रीति से विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की गई।
चारधाम यात्रा की शुरुआत के साथ केदारनाथ की यात्रा भी शुरू हो चुकी है। स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति ने यात्रियों की सुविधाओं और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।
क्यों विशेष है केदारनाथ का कपाट उद्घाटन?
केदारनाथ मंदिर का इतिहास और ऊर्जा अपने आप में रहस्य और श्रद्धा का अनोखा संगम है। हर वर्ष कपाट खुलते समय जो दिव्यता और आध्यात्मिक शक्ति वहां अनुभव होती है, वह शब्दों से परे है। यही वजह है कि कपाट खुलने की यह घड़ी हर श्रद्धालु के लिए एक अलौकिक अनुभव बन जाती है।
केदारनाथ धाम के कपाट खुलना न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह हिन्दू आस्था की उस गहराई को दर्शाता है जिसमें श्रद्धा, रहस्य और दिव्यता का समागम होता है। बाबा केदार के भीष्म श्रृंगार और अखंड ज्योति के दर्शन हर भक्त के लिए एक आध्यात्मिक पुनर्जन्म के समान माने जाते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।