मई 2025 में आएंगे ये खास व्रत और पर्व, ज्येष्ठ मास की शुरुआत के साथ शुरू होगा पुण्यकाल

मई का महीना हिन्दू पंचांग के अनुसार धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस माह में भक्तिभाव, संयम और पवित्र आचरण की प्रधानता रहती है। मई 2025 में जहां वैशाख माह का समापन होगा, वहीं ज्येष्ठ मास की शुरुआत भी इसी महीने से होगी। यह मास विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है और इस दौरान उनकी पूजा करने से अनेक पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
मई माह में सीता नवमी, वट सावित्री व्रत, मोहिनी एकादशी, गंगा सप्तमी जैसे कई ऐसे पर्व आते हैं, जिनका आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यंत गहरा है। आइए जानते हैं इस महीने पड़ने वाले व्रतों की पूरी सूची और उनकी विशेषताएं।
मई 2025 में पड़ने वाले प्रमुख व्रत और पर्व
✅ 12 मई – वैशाख पूर्णिमा
वैशाख मास की पूर्णिमा को स्नान-दान और सत्यनारायण व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ गंगा स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
✅ 13 मई – गंगा सप्तमी
गंगा सप्तमी को मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। गंगा स्नान, दान और मंत्र जाप करने से पापों का क्षय होता है।
✅ 14 मई – सीता नवमी
यह पर्व माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं।
✅ 16 मई – मोहिनी एकादशी
भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा इस एकादशी पर की जाती है। व्रत रखने से मनुष्य मोह और माया से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
✅ 19 मई – वट सावित्री व्रत
यह व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। वट वृक्ष की पूजा और सावित्री-सत्यवान की कथा श्रवण इस दिन के प्रमुख अनुष्ठान हैं।
✅ 21 मई – प्रदोष व्रत (शुक्रवार)
शिव भक्तों के लिए यह दिन विशेष होता है। संध्या काल में भगवान शिव की आराधना से जीवन में संकट दूर होते हैं।
✅ 22 मई – ज्येष्ठ अमावस्या का आरंभ
इस तिथि से ज्येष्ठ मास का शुभारंभ होता है। यह मास तप और सेवा का प्रतीक है। इस दौरान प्यासे यात्रियों के लिए जल की व्यवस्था, छाछ वितरण और दान-पुण्य का विशेष फल बताया गया है।
ज्येष्ठ मास का महत्व
ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु का प्रिय मास माना जाता है। इस मास में तपस्या, सेवा और दान को सर्वोपरि माना गया है। विशेषकर जल दान, पंखे, छाते और चप्पल आदि का वितरण करने से अत्यंत पुण्य मिलता है। इस मास की शुरुआत मई के तीसरे सप्ताह से हो रही है, जो वर्ष के सबसे गर्म समय को दर्शाती है। ऐसे में परोपकार और जल सेवा इस मास की आत्मा मानी गई है।
मई 2025 का माह धार्मिक गतिविधियों से परिपूर्ण है। इस महीने के व्रत-त्योहार केवल आध्यात्मिक उन्नति का ही माध्यम नहीं हैं, बल्कि ये हमारे सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करते हैं। वैशाख पूर्णिमा से लेकर वट सावित्री व्रत और मोहिनी एकादशी तक—हर पर्व का अपना विशेष महत्व है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।