इस बार मई में बन रहा है दुर्लभ संयोग, एक ही सप्ताह में शनि प्रदोष व्रत और शनि जयंती, जानें तिथि और महत्व

हिंदू पंचांग में कई ऐसे अवसर आते हैं जब दो प्रमुख धार्मिक तिथियाँ एक ही सप्ताह में आकर एक विशिष्ट आध्यात्मिक संयोग का निर्माण करती हैं। वर्ष 2025 में मई माह एक ऐसा ही पावन अवसर लेकर आ रहा है। इस बार शनि प्रदोष व्रत और शनि जयंती, दोनों पर्व एक ही सप्ताह में मनाए जाएंगे, और खास बात यह है कि इन दोनों ही पर्वों का संबंध शनिदेव से है, जिससे इस संयोग का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
24 मई 2025: शनिवार को प्रदोष व्रत, फलदायक और दुर्लभ योग
प्रदोष व्रत प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और जब यह व्रत शनिवार को पड़ता है, तो इसे 'शनि प्रदोष व्रत' कहा जाता है। वर्ष 2025 में ज्येष्ठ मास का पहला शनि प्रदोष व्रत 24 मई को आ रहा है। यह व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है, और जब यह शनि के दिन हो, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। शनि प्रदोष व्रत से न केवल शिव कृपा मिलती है, बल्कि शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से भी मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन संध्या काल में व्रत रखकर शिव-शनि दोनों की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है।
27 मई 2025: शनि जयंती पर होगी शनिदेव की विशेष पूजा
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है, और इस बार यह शुभ अवसर 27 मई 2025 को आ रहा है। यह दिन शनिदेव के प्रकट होने का पर्व है। शनि जयंती पर शनिदेव की विधिपूर्वक पूजा, व्रत, और तिल-तेल से अभिषेक करना अत्यंत शुभ फलदायक होता है। कहा जाता है कि इस दिन जो श्रद्धालु शनिदेव की पूजा करता है, उसे जीवन में कष्टों से मुक्ति, न्याय की प्राप्ति और कर्मों के अनुसार सफलता प्राप्त होती है। अमावस्या तिथि और शनिदेव की जन्मतिथि का यह संगम आत्मशुद्धि और साधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
एक ही सप्ताह में दो दिव्य योग: क्यों है यह संयोग विशेष?
धार्मिक दृष्टि से यह अत्यंत दुर्लभ होता है कि एक ही सप्ताह में शनिदेव से जुड़े दो बड़े पर्व – शनि प्रदोष व्रत और शनि जयंती – आ जाएं, और वह भी शनिवार के प्रभाव के साथ। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह संयोग "शनि कृपा सप्ताह" जैसा प्रभाव देता है। ऐसे समय में की गई पूजा, व्रत, दान-पुण्य और ध्यान विशेष रूप से प्रभावशाली होते हैं और लंबे समय तक शुभ फल प्रदान करते हैं।
विशेष रूप से उन लोगों के लिए, जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष चल रहा है, यह सप्ताह किसी वरदान से कम नहीं। इस अवधि में शनिदेव की आराधना, हनुमान चालीसा का पाठ, काले तिल और तेल का दान तथा शिव पूजा से जीवन में स्थिरता और उन्नति प्राप्त की जा सकती है।
मई 2025 में आ रहा यह दुर्लभ अवसर शनि भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव के समान है। 24 मई को शनि प्रदोष व्रत और 27 मई को शनि जयंती का एक ही सप्ताह में आना न केवल पुण्यदायक है, बल्कि यह जीवन के कष्टों को दूर करने और सौभाग्य की प्राप्ति का द्वार भी खोलता है। ऐसे पावन योग में श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा-अर्चना करना विशेष फलदायक सिद्ध होगा।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।