वैशाख पूर्णिमा 2025: दीपदान, स्नान और ध्यान से मिलता है पुण्य, जानिए क्यों है यह दिन खास

वैशाख पूर्णिमा 2025: दीपदान, स्नान और ध्यान से मिलता है पुण्य, जानिए क्यों है यह दिन खास
X

हिंदू धर्म में वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा के स्तर पर भी एक विशेष दिन होता है। इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा आज 12 मई 2025 को मनाया जा रही है, और इसी दिन भगवान बुद्ध को बोधगया में ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है।

यह दिन पूजा-पाठ, स्नान-दान और दीपदान जैसी पवित्र परंपराओं से जुड़ा होता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है, जिससे जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद व्रत रखकर भगवान विष्णु, लक्ष्मी और बुद्ध की पूजा की जाती है।

बुद्ध पूर्णिमा: ज्ञान, करुणा और शांति का प्रतीक दिवस

वैशाख पूर्णिमा का एक और विशेष पक्ष यह है कि यह दिन भगवान बुद्ध की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी पावन तिथि को सिद्धार्थ गौतम को बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जिससे वे बुद्ध बन गए। यह घटना केवल बौद्ध धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक नई दिशा थी। इस दिन ध्यान, आत्मचिंतन और संयम के साथ जीवन को समझने की प्रेरणा दी जाती है।

भारत सहित दुनियाभर के बौद्ध मंदिरों में इस दिन विशेष आयोजन होते हैं। भिक्षु भिक्षुणियां उपदेश देते हैं, लोग ध्यान और सत्संग में भाग लेते हैं, और दान-पुण्य करते हैं। यह पर्व करुणा और शांति के संदेश के साथ संपूर्ण समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

दीपदान और व्रत का विशेष महत्व

वैशाख पूर्णिमा की रात दीपदान करने की प्राचीन परंपरा है। घर के बाहर, तुलसी के नीचे या मंदिरों में दीपक जलाकर लोग अपने कष्टों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। यह दीपक केवल घी या तिल के तेल से बनाया जाता है और भगवान विष्णु या बुद्ध को अर्पित किया जाता है।

मान्यता है कि दीपदान से जीवन में अंधकार मिटता है और नए मार्गों का प्रकाश मिलता है। साथ ही, व्रत रखकर और दान देकर इस दिन व्यक्ति अपने पितरों को तृप्त करता है, जिससे कुल में सुख-शांति बनी रहती है। अन्न, वस्त्र, जलपात्र, छाया, पंखा, और अन्य गर्मी से राहत देने वाली वस्तुओं का दान विशेष पुण्यदायी माना जाता है।

12 मई 2025 को पड़ने वाली वैशाख पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि अध्यात्म, धर्म और जीवन को नई दिशा देने वाला पर्व है। यह दिन आत्मशुद्धि, दान, ध्यान और समाज कल्याण के लिए संकल्प लेने का दिन है। चाहे आप भगवान विष्णु की भक्ति करें या भगवान बुद्ध के आदर्शों पर चलें, यह दिन आपके जीवन में शुभता और शांति का संदेश लेकर आता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

Tags:
Next Story
Share it