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12 साल में एक बार खिलता है यह फूल, पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में किया जिक्र

12 साल में एक बार खिलता है यह फूल, पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में किया जिक्र

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देश के प्रधानमंत्री जब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से भाषण देते हैं, तो उनकी हरेक बात पर सभी का ध्यान रहता है। साल 2014 में सत्ता में आए नरेंद्र मोदी का ये पांचवां भाषण था और भारत की आज़ादी की 72वीं सालगिरह पर जब उन्होंने भाषण दिया तो शुरुआत में एक फूल का ज़िक्र किया, जो चर्चा का विषय बन गया। मोदी ने कहा, ''हमारे देश में 12 साल में एक बार नीलकुरंजी का पुष्प उगता है। इस वर्ष दक्षिण की नीलगिरि की पहाड़ियों पर नीलकुरंजी का पुष्प जैसे मानो तिरंगे झंडे के अशोक चक्र की तरह देश की आज़ादी के पर्व में लहलहा रहा है।''

नीलकुरंजी फूल क्या है?

कुरंजी और नीलकुरंजी का वैज्ञानिक नाम Strobilanthes kunthianus है। ये दक्षिण भारत के वेस्टर्न घाट के शोला जंगलों में पाया जाता है। नीलगिरि हिल्स का मतलब है नीले पहाड़ और इसे ये नाम इसी फूल की वजह से मिला है। ये फूल असल में 12 साल में एक बार खिलता है और उस साल पर्यटकों की भीड़ रहती है। इस फूल के साल 1838, 1850, 1862, 1874, 1886, 1898, 1910, 1992, 1934, 1946, 1958, 1970, 1982, 1994, 2006 और 2018 में खिलने की जानकारी है।

फूल से पता लगाते हैं उम्र

कुछ कुरंजी फूल ऐसे हैं जो हर सात साल में खिलते हैं और फिर मर जाते हैं। ये जानकारी हैरान करने वाली हो सकती है कि तमिलनाडु के पलियान समुदाय के लोग इस फूल को अपनी उम्र का आकलन करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। नीलकुरंजी फूल 1300 से 2400 मीटर की ऊंचाई पर खिलते हैं और इसका पौधा 30-60 सेंटीमीटर ऊंचा होता है। हालांकि ये कुछ मामलों में 180 सेंटीमीटर तक भी चला जाता है।

फूल देखने पहुंच रहे हजारों लोग

एक वक़्त था जब नीलगिरि और पलानी हिल्स की सारी पहाड़ियां कुरंजी फूलों की चादर से ढकी रहती थी। लेकिन अब दूसरे पेड़-पौधे और इंसानी आबादी वो जगह घेरती जा रही है। ज़ाहिर है, जैसा कि इस फूल के नाम से ज़ाहिर होता है, ये नीले रंग का होता है। keralatourism।org के मुताबिक साल 2018 में मुन्नार में ये फूल उगा है और इसे देखने हज़ारों लोग पहुंच रहे हैं। नीलकुरंजी की 40 क़िस्में होती हैं। इनमें से ज़्यादातर नीले रंग की होती हैं। फूल के नाम में नील के मायने नीले रंग से हैं और कुरंजी इस इलाके के आदिवासियों की तरफ़ से इस फूल को दिया नाम है। साल 2006 में पिछली बार खिला ये फूल इस साल अगस्त में खिला है और इस पर अक्टूबर तक बहार रहेगी। मुन्नार में कोविलूर, कदावरी, राजामाला और इरावीकुलम नेशनल पार्क में इन फूलों से गज़ब का माहौल बनता है।

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