Home > प्रदेश > बिहार > रेलवे होटल टेंडर मामला: लालू-तेजस्वी हो सकते हैं बरी, जांच एजेंसी को नहीं मिले सबूत

रेलवे होटल टेंडर मामला: लालू-तेजस्वी हो सकते हैं बरी, जांच एजेंसी को नहीं मिले सबूत

रेलवे होटल टेंडर मामला: लालू-तेजस्वी हो सकते हैं बरी, जांच एजेंसी को नहीं मिले सबूत

रेलवे होटल टेंडर मामले में...Editor

रेलवे होटल टेंडर मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को बड़ी राहत मिल सकती है। जांच कर रही एजेंसी को इस मामले में कोई ऐसा सबूत नहीं मिला है जिससे यह साबित होता हो कि उन्होंने भूमि हस्तांतरण के लिए ऐसा कोई कदम उठाया था। एक अंग्रेजी अखबार ने दावा किया है कि सीबीआई की लीगल विंग के प्रॉसक्यूशन डायरेक्टर ने विगत वर्ष पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव पर एफआईआर करने से पहले सीबीआई को स्पष्ट लिखकर कह दिया था इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

जून 2017 में सीबीआई के आर्थिक अपराध विभाग ने लालू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें कहा गया था कि साल 2006 में रेलमंत्री रहते हुए उन्होंने कथित तौर पर रेलवे के दो होटलों को निजी कंपनी को बेच दिया था और उसके बदले पटना में एक महंगी जमीन खरीदी थी। मगर जांच एजेंसी की कानूनी शाखा ने इसका विरोध किया है। उसका कहना है कि इस मामले में कोई ऐसा सबूत नहीं मिलता है जिससे यह साबित होता हो कि उन्होंने भूमि हस्तांतरण के लिए ऐसा कोई कदम उठाया था।
जांच में आर्थिक अपराध विभाग ने कहा था कि लालू ने आईआरसीटीसी के रांची और पुरी स्थित होटलों का जिम्मा सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को कथित तौर पर पटना में एक बेनामी कंपनी के जरिए महंगी जमीन प्राप्त होने के बाद सौंप दिया था। इसके बाद सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। हालांकि सूत्रों की मानें तो तब सीबीआई की ही कानूनी शाखा (अभियोजन निदेशालय) ने इस एफआईआर का विरोध किया था। उसकी दलील थी कि इस मामले में अभी और जांच की जरूरत है। इसलिए अभी सिर्फ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।

सुजाता होटल्स को आईआरसीटीसी के होटल दिसंबर 2006 में मिले। जबकि सुजाता होटल्स के निदेशकों विजय और विनय कोचर ने फरवरी 2005 में पटना की जमीन डिलाइट मार्केटिंग नाम की कंपनी को सौंपी थी। जिसके बाद डिलाइट मार्केटिंग का मालिकाना हक 2011-14 के बीच लालू परिवार के पास आया। इस मामले में कानूनी शाखा का कहना है कि इस तरह का कोई सबूत नहीं मिलता जिससे यह साबित हो कि लालू ने रेलवे अधिकारियों को प्रभावित किया था या अवैध तरीके से जमीन अपने नाम पर हस्तांतरित की थी। इस खुलासे के बाद माना जा रहा है कि लालू को इस मामले से बरी किया जा सकता है।

Tags:    
Share it
Top