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IRCTC घोटाला: पटियाला हाउस कोर्ट ने लालू परिवार को मिली बड़ी राहत, तेजस्वी को मिली जमानत

IRCTC घोटाला: पटियाला हाउस कोर्ट ने लालू परिवार को मिली बड़ी राहत, तेजस्वी को मिली जमानत

रेलवे टेंडर घोटाले मामले में...Editor

रेलवे टेंडर घोटाले मामले में बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी यादव की नियमित जमानत मिल गई है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य लोग जो भी सुनवाई के दौरान उपस्थित थे उन सबको नियमित जमानत की मंजूरी दे दी। वहीं इस मामले मे आरोपी के तौर पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू यादव का भी नाम है। वह सुनवाई के लिए अदालत में पेश नहीं हुए क्योंकि डॉक्टरों ने उन्हें यात्रा करने से मना किया है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत में राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव सहित अन्य को जमानत दिए जाने का विरोध किया। उसका कहना था कि नियमित तौर पर जमानत मिलने से जांच प्रभावित हो सकती है। लेकिन सीबीआई के विरोध के बावजूद अदालत ने उन्हें और सुनवाई के लिए मौजूद अन्य आरोपियों को जमानत दे दी है। इससे पहले कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी।

लालू यादव के कोर्ट में पेश ना होने पर राजद विधायक और लालू यादव के सहयोगी भोला यादव ने कहा 'वह रिम्स में भर्ती हैं। डॉक्टरों ने उन्हें यात्रा करने के लिए शारीरिक तौर पर अनुपयुक्त घोषित किया है। जेल प्राधिकारियों ने अदालत को सूचित कर दिया है कि वह सुनवाई के लिए पेश नहीं हो पाएंगे।' पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें समन देकर पेशी के लिए हाजिर होने का आदेश दिया था।

बता दें कि साल 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल के रखरखाव आदि के लिए आईआरसीटीसी को स्थानांतरित किया था। सीबीआई के मुताबिक, नियम-कानून को ताक पर रखते हुए रेलवे का यह टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दे दिए गए थे।

आरोप के अनुसार टेंडर दिए जाने के बदले 25 फरवरी, 2005 को कोचर बंधुओं ने पटना के बेली रोड स्थित तीन एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड को बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत ज्यादा थी। इस जमीन को कृषि जमीन बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेच कर स्टांप ड्यूटी में गड़बड़ी की गई। बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी संपत्ति लालू प्रसाद यादव की पारिवारिक कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपए में ही दे दी गई, जबकि उस समय बाजार में इसकी कीमत करीब 94 करोड़ रुपए थी।

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