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लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने की कोशिश में अमेरिकी नागरिक गिरफ्तार

लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने की कोशिश में अमेरिकी नागरिक गिरफ्तार

पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा...Editor

पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के अमेरिका में पांव पसारने के खतरनाक संकेतों के बीच संघीय अभियोजकों ने न्यूयॉर्क के एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने की घोषणा की है जो आतंकवादी संगठन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की उड़ान भरने वाला था. दूसरी ओर, टेक्सास में एफबीआई ने एक किशोर पर लश्कर-ए-तैयबा में लोगों की भर्ती करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.

जीजस विल्फ्रेडो एन्कार्नेशियन (29) को गुरुवार रात को जॉन एफ केनेडी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब वह पाकिस्तान जाने वाले एक विमान में सवार होने वाला था. सहायक अटॉर्नी जनरल जॉन डेमेर्स ने कहा, ''विल्फ्रेडो ने विदेशी आतंकवादी संगठन में शामिल होने के लिए कथित तौर पर पाकिस्तान की यात्रा करने की कोशिश की और संगठन को मदद मुहैया कराने के लिए किसी अन्य व्यक्ति के साथ साजिश की.''

अमेरिकी अटॉर्नी जेफ्री बर्मन ने कहा कि विल्फ्रेडो ने लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने और उसके साथ प्रशिक्षण करने के लिए यात्रा करने की साजिश रची. लश्कर साल 2008 के मुंबई हमले और अन्य हमले करने को लेकर दुनियाभर में कुख्यात है. एफबीआई के सहायक प्रभारी निदेशक विलियम स्वीने जूनियर ने बताया कि मैनहटन निवासी विल्फ्रेडो ने ना केवल ''लोगों का सिर कलम'' करने की इच्छा जताई थी बल्कि वह यह सीखने के लिए यात्रा करने और विमान में सवार होने वाला था कि कैसे आतंकवादी बने.

दक्षिणी टेक्सास राज्य में 18 वर्षीय माइकल कायले सीवेल पर लश्कर-ए-तैयबा की ओर से लोगों की भर्ती करने और उन्हें आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजने के वास्ते सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है. इन गिरफ्तारियों से अमेरिका में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच खतरे की घंटी बज गई है. इससे देश में आतंकवाद के पनपने और अमेरिकी युवाओं के कट्टरपंथी बनने की ओर ध्यान गया है.

लश्कर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की वैश्विक आतंकवादी संगठन की सूची में शामिल है. उसने मुंबई में साल 2008 में आतंकवादी हमले समेत भारत में कई हमले किए. मुंबई हमलों में 160 से अधिक लोगों की मौत हुई थी जिनमें कई अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे. स्वीने जूनियर ने कहा, ''ये संगठन लोगों में क्रूर भावनाएं जगाने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं.''

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