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मध्‍यप्रदेश में सतपुड़ा के पहाड़ों में दिखने लगा स्ट्रॉबेरी का रंग

मध्‍यप्रदेश में सतपुड़ा के पहाड़ों में दिखने लगा स्ट्रॉबेरी का रंग

यहां से लगभग 40 किमी दूर पहाड़ी...Editor

यहां से लगभग 40 किमी दूर पहाड़ी अंचल में बसे मलगांव-कोठाबुजुर्ग में कृषि क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। यहां के तीन किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती कर निमाड़ को नई पहचान दिलाई है।

कृषि विभाग के अंतर्गत आत्मा परियोजना के अधिकारियों ने इसे प्रयोग के तौर पर यहां लगाया। परिणाम यह रहा कि पहाड़ी से घिरी यह कृषि भूमि इस उत्पादन के लिए अनुकूल साबित हुई। विभाग को उम्मीद है कि यह उत्पादन अन्य स्थानों पर भी मिल सकेगा। क्षेत्र के किसान संजय पिता विजय, भीरिया पिता प्रेम सिंह और पन्न्ाालाल ने अपनी कुछ कृषि भूमि पर इसके पौधे लगाए। इन दिनों यह स्ट्रॉबेरी खिल रही है।

महाराष्ट्र से मंगवाए पौधे

आत्मा परियोजना के संचालक एमएल वास्केल ने बताया कि तोरणमाल (महाराष्ट्र) से प्रति पौधे 12 रुपए की दर से खरीदे गए। प्रत्येक प्लॉट में दो-दो हजार पौधे लगाए गए। इन्हें ड्रिप और मल्चिंग पद्धति से अक्टूबर में रोपा गया। इस फसल प्रोत्साहन के लिए प्रत्येक किसान को 20 हजार रुपए का अनुदान भी दिया गया। लगभग दस-दस डेसीमल भूमि पर स्ट्रॉबेरी की फसल लहलहा रही है। इस फसल उत्पादन के लिए वातावरण में कुछ नमी चाहिए जो पहाड़ों में मिल गई है।

बाजारों में उपलब्ध

किसान संजय ने बताया कि 200 ग्राम पैक में स्ट्रॉबेरी लगभग 50 से 60 रुपए में उपलब्ध है। आत्मा परियोजना के ही तकनीकी प्रबंधक अनिल नामदेव ने बताया कि किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए स्ट्रॉबेरी को बेचने में मदद की जा रही है।

कुछ फल व्यापारियों ने ठेके में इस फसल को खरीदने की इच्छा जताई है। उक्त वन ग्रामों में स्ट्रॉबेरी की फ्लोरिडा किस्म की फसल ली जा रही है। यह फसल छह- सात माह में पककर तैयार हो जाती है। यदि ग्रीन हाउस में फसल को सुरक्षित किया जाए तो उत्पादन अवधि एक माह बढ़ जाएगी। एक पौधे से करीब 600 ग्राम स्ट्रॉबेरी उत्पादित होगी।

इनका कहना है

जिले में स्ट्रॉबेरी के उत्पादन का प्रयोग सफल हुआ। इस नवाचार को बढ़ाया जाएगा। फिलहाल किसानों को मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

एमएल चौहान, उपसंचालक, कृषि विभाग, खरगोन

जिले का किसान मेहनती है। यहां नवाचार में किसान रुचि लेते हैं। स्ट्रॉबेरी उत्पादन के लिए इच्छुक किसानों को भी प्रेरित कर प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें नए बाजार भी उपलब्ध कराने के प्रयास होंगे।

- गोपालचंद्र डाड, कलेक्टर

मध्यप्रदेश में कृषि (आत्मा) के माध्यम से पहली बार निमाड़ क्षेत्र में नवाचार प्रयोग किया गया है। बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी फसल के लिए कम से कम दो वर्ष इंतजार करना चाहिए।

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