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अध्यापकों को जनवरी 2018 से सातवां वेतनमान देने की तैयारी

अध्यापकों को जनवरी 2018 से सातवां वेतनमान देने की तैयारी

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प्रदेश के दो लाख 84 हजार अध्यापकों को सातवां वेतनमान एक जनवरी 2018 से देने की तैयारी चल रही है। इसे लेकर अध्यापक संगठनों के नेताओं और स्कूल शिक्षा व वित्त विभाग के अफसरों के बीच चर्चा हो चुकी है, लेकिन अध्यापक अफसरों के इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। वे प्रदेश के नियमित कर्मचारियों की तरह एक जनवरी 2016 से वेतनमान की मांग कर रहे हैं।


अध्यापकों की दो बड़ी मांगें हैं। पहला स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन और दूसरा नियमित कर्मचारियों की तरह सांतवां वेतनमान। सरकार भी दोनों मांगों को पूरा करने की तैयारी में है, लेकिन अध्यापकों की मर्जी के माफिक नहीं।

वेतनमान को लेकर तीन दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन सरकार और अध्यापकों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। इसे लेकर मान मनोव्वल और प्रदर्शन का दौर जारी है। सूत्र बताते हैं कि सातवें वेतनमान को लेकर स्कूल शिक्षा और वित्त विभाग दोनों तरह के प्रस्ताव तैयार कर रहा है। यदि अध्यापक नहीं माने तो 2016 से वेतनमान देने का निर्णय भी लिया जा सकता है।

पहले संविलियन, फिर वेतनमान

25 सितंबर 2015 को लालघाटी चौराहे पर निकाली गई तिरंगा यात्रा के बाद 25 दिसंबर 2015 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अध्यापकों को छठवां वेतनमान देने की घोषणा करते हुए कहा था कि यह घोषणा इसलिए की जा रही है, ताकि अध्यापकों को सातवें वेतनमान से वंचित न रहना पड़े।

अध्यापक मुख्यमंत्री की इसी घोषणा को आधार बनाकर सातवें वेतनमान की मांग कर रहे हैं। सरकार भी इसकी तैयारी जोरों से कर रही थी, लेकिन इसी बीच अध्यापकों ने शिक्षा विभाग में संविलियन को लेकर दवाब बनाया और मुख्यमंत्री ने इसकी भी घोषणा कर दी। अब सरकार पहले संविलियन और फिर वेतनमान देने पर काम कर रही है।

अफसरों का तर्क है कि संविलियन होगा तो अध्यापक नियमित कर्मचारी हो जाएंगे और फिर सातवां वेतनमान देना ही पड़ेगा। इसलिए पहले संविलियन ही कर लिया जाए। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी का कहना है कि इस बारे में वित्त विभाग के अफसर ही बता सकते हैं।

आंदोलन ही एक रास्ता

मुख्यमंत्री ढाई साल पहले घोषणा कर चुके हैं। फिर भी अध्यापकों को सातवां वेतनमान नहीं मिल रहा है। विभाग में संविलियन की तय समयसीमा भी निकल गई है। अब आंदोलन ही एक मात्र रास्ता बचता है।

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