मालदीव संकट में मदद करने को सेना तैयार, इससे पहले राजीव गांधी ने दी थी सैन्य मदद
- In विदेश 7 Feb 2018 4:54 AM GMT
नई दिल्लीः भारत संकट की स्थिति...Editor
नई दिल्लीः भारत संकट की स्थिति में हमेशा से मालदीव की मदद करता रहा है. मौजूदा संकट की तरह 1988 में तख्तापलट की एक कोशिश को विफल करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने 'ऑपरेशन कैक्टस' के तहत मालदीव में सेना भेजी थी. इसमें भारतीय पैरट्रूपर्स और नौसेना के युद्धपोत शामिल थे.
उस वक्त मालदीव में अब्दुल गयूम की सरकार थी, जिन्हें मालदीव के कुछ लोगों ने अब्दुल्ला लुथुफी के नेतृत्व में सत्ता से हटाने की कोशिश की थी. मालदीव के साथ सैन्य समझौते के तहत इस पड़ोसी देश में हमारे कुछ सैन्य अधिकारी और जवान भी मौजूद रहते हैं. गौरतलब है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने देश में जारी राजनीतिक संकट के समाधान के लिए भारत से 'त्वरित कार्रवाई' करने की मांग की है. राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के आपातकाल की घोषणा करने और सैनिकों द्वारा देश के प्रधान न्यायाधीश को गिरफ्तार कर लेने के बाद देश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है.
भारतीय सेना अलर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मालदीव में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेना अलर्ट मोड में है. सेना के सामने मालदीव से भारतीय पर्यटकों को निकालने से लेकर वहां की स्थिति नियंत्रित करने के लिए सैन्य हस्तक्षेप करने के विकल्प खुल हुए हैं. हालांकि अभी तक भारत सरकार की ओर से इस बारे में सेना को कोई निर्देश नहीं मिला है. सूत्रों का कहना है कि इलाके में भारतीय नौसेना के कुछ युद्धपोत हमेशा पेट्रोलिंग करते रहते हैं. जरूरत पड़ने पर उनको मालदीव की ओर भेजा जा सकता है. जानकारों के मुताबिक भारत के लिए बेहद अहम इस क्षेत्र में युद्धपोत, एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर हमेशा पेट्रोलिंग करते रहते हैं.
मालदीव में संकट तब पैदा हुआ जब बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद विपक्ष के 9 नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि उन पर मुकदमा राजनीति से प्रभावित और दोषपूर्ण है. सरकार ने आदेश के क्रियान्वयन से इनकार कर दिया जिसके बाद राजधानी माले में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं. इन झड़पों के बाद यामीन ने आपातकाल घोषित कर दिया.
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