पीएम के दावों के बावजूद, साल में 10 गुना बढे 629 लाइफ -सेविंग ड्रग्स के दाम
- In देश 25 Feb 2017 4:42 AM GMT
नई दिल्ली. प्रधानमन्त्री...Public Khabar
नई दिल्ली. प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के निर्देस्बिन और दावों के विपरीत देश की कई बड़ी दवा निर्माता कंपनियों द्वारा करीब 634 से अधिक तरह की दवाइयों के निर्धारित मूल्यों को अधिक रखे जाने पर संदेह है।
राष्ट्रीय दवा मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) ने संभावना जताई है कि विभिन्न कंपनियों ने उसके द्वारा अधिसूचित अधिकतम मूल्य का अनुपालन नहीं किया गया है।
एनपीपीए ने अपनी हालिया अधिसूचना में कहा है कि उसने यह सूची पिछले साल दिसंबर में विभिन्न दवाओं के बाजार आंकड़ों के विश्लेषण के बाद जारी की है।
कंपनियों की लिस्ट
इस सूची में सिप्ला, अबॉट इंडिया, अजंता फार्मा, अल्केम लैब, एस्ट्राजेनेका, डॉ रेड्डीज लैब और कैडिला सहित कई दवा निर्माता कंपनियां शामिल हैं।
एनपीपीए ने अब तक 662 दवाओं के अधिकतम मूल्य अधिसूचित किए हैं। ये दाम डीपीसीओ-2013 आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम-15) के तहत तय किए गए हैं।
10 गुना बढे रेट महज एक साल में
आपको बता दें कि सरकार किसी खास चिकित्सा वर्ग की सभी दवाओं के सामान्य औसत मूल्य के हिसाब से आवश्यक दवाओं का दाम तय करती है।
इसमें सिर्फ वहीं दवाएं शामिल की जातीं हैं जिनकी बाजार हिस्सेदारी एक फीसद से अधिक होती है। कंपनियों को इस तरह की दवाओं के दाम एक साल में 10 फीसद तक बढ़ाने की अनुमति है।
सरकार ने दवा मूल्य नियंत्रण आदेश-2013 (डीपीसीओ) को 15 मई 2014 से अधिसूचित किया है। यह आदेश 1995 के आदेश के स्थान पर लाया गया जिसमें कि केवल 74 थोक दवाओं के दाम का ही नियमन किया जाता था। आवश्यक दवाओं के दाम तय करने और उसमें संशोधन के लिए एनपीपीए की स्थापना 1997 में की गई।