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तभेद के बावजूद होना चाहिए प्रधानमंत्री पद का सम्मान : कृष्णा बोस

पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम...Editor

पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम ममता बनर्जी के बीच लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हुए वाकयुद्ध के बीच तृणमूल की पूर्व सांसद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की निकट संबंधी कृष्णा बोस ने कहा कि विचारधारा में मतभेद हो सकता है, बावजूद इसके सभी को प्रधानमंत्री पद का सम्मान करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि मोदी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य सरकारें निर्वाचित होती हैं और उनके पास शक्तियां होती हैं। एक साक्षात्कार में बोस ने कहा-'मैं भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं हो सकती, लेकिन जब तक नरेंद्र मोदी देश के चुने हुए प्रधानमंत्री हैं, मुझे उनके प्रति सम्मान करना होगा। मैं उन्हें देश के पीएम के रूप में सम्मान करूंगी न कि एक ऐसी पार्टी के प्रमुख के रूप में, जिससे मैं इत्तेफाक नहीं रखती।'

चार बार सांसद रह चुकी कृष्णा बोस ने पीएम मोदी द्वारा ममता बनर्जी को 'स्पीड ब्रेकर दीदी' कहे जाने और सीएम ममता बनर्जी द्वारा पीएम को 'एक्सपायरी पीएम' कहे जाने के संदर्भ में कहा कि इस तरह के बयान में प्रतिशोध झलकता है और यह बिल्कुल अनावश्यक है।

यह पूछे जाने पर कि भाजपा ममता पर बंगाल में मुसलमानों को खुश करने का आरोप लगाती रही है, बोस ने कहा कि नेताओं को एक निर्वाचित सरकार के प्रमुख को दोषी ठहराने से बचना चाहिए। सभी को यह याद रखना चाहिए कि भारत एक बहुभाषी, बहु-सांस्कृतिक और बहु-धार्मिक देश है और यदि आप उस आदर्श का पालन नहीं करते हैं तो आप वास्तव में भारत पर शासन नहीं कर सकते। वे जो कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं उसके लिए दूसरों को दोष नहीं देना चाहिए। अगर आप मुसलमानों को खुश करने के बारे में बात कर रहे हैं तो यह कोई नई बात नहीं है। यह बहुत लंबे समय से चला आ रहा है और इसीलिए यह समुदाय पीछे रह गया है। क्या राजनीतिक दलों ने उनके बारे में सोचा कि वास्तव में उनके लिए कुछ अच्छा किया जाय या किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि कोई सिर्फ ममता बनर्जी को कैसे दोषी ठहरा सकता है। हर कोई इसे कर रहा है। हर कोई चुनाव के समय इस पर सवाल उठा रहा है। मैं इसके लिए ममता को दोषी नहीं मान सकती।

बंगाल में भाजपा के उत्थान के सवाल पर बोस ने कहा कि इसकी वजह तृणमूल सरकार के साथ राज्य के लोगों में बढ़ता असंतोष है। बोस ने दावा किया कि ममता ने बंगाल के विकास के लिए कुछ अच्छे काम किए हैं, लेकिन उनके सभी अच्छे कार्यों को उनके आसपास के कुछ लोगों ने बिगाड़ दिया है।

बोस ने कहा कि सिंडिकेट को लेकर सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। माकपा और कांग्रेस की ढीली पड़ती पकड़ भी राज्य में भाजपा के तेजी से उत्थान की वजह है लेकिन तृणमूल इसका पुरजोर तरीके से मुकाबला कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी की एक विशेष विचारधारा है। वे इसे खुले तौर पर कहते हैं। वे हिंदुत्व चाहते हैं लेकिन बंगाल में उन्हें रोकने के तरीके में भी बदलाव लाना होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव आयोग भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार के हित में कदम उठा रहा है, इसपर बोस ने कहा कि चुनाव आयोग, न्यायपालिका, सेना राजनीतिक प्रक्रिया में कभी नहीं आए। चुनाव आयोग को स्वतंत्र होना चाहिए।

यदि चुनाव आयोग जैसे निकायों पर दबाव बनाया जाता है तो यह देश में लोकतंत्र के लिए खतरा होगा। बंगाल में प्रत्येक मतदान केंद्र पर केंद्रीय बलों को तैनात करने की आवश्यकता पर भी कृष्णा बोस ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि हमें केंद्रीय बलों या पुलिस या राज्य पुलिस की आवश्यकता क्यों है? इसका मतलब है कि हम स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान आयोजित करने में असमर्थ हैं। मैं 1952 से चुनावों को देख रही हूं। पहले ऐसी समस्या नहीं थी।

लोकतंत्र में लोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। हमारा संविधान बहुत अच्छा है और यही कारण है कि हम अपने लोकतंत्र को इतने लंबे समय तक बरकरार रख सके, लेकिन हमारे लोकतंत्र के आगे लंबे समय तक बरकरार रहने पर मुझे संदेह है।

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