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राजस्थान की राजधानी लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के लिए बन सकती है बड़ी चुनौती

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देशभर में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर केंद्र और विपक्ष दोनों ही अपनी तैयारियों में जुट गया है. एक ओर जहां सत्ता पर काबिज बीजेपी सभी राज्यों में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी बीजेपी को केंद्र से हटाने के लिए किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहते है. जिसके चलते केंद्र से लेकर राज्यों तक की राजनीति गरमाइ हुई है.

इसी बीच राजस्थान की सबसे अहम लोकसभा सीटों में से एक जयपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां मौजूदा सांसद बीजेपी के रामचरण बोहरा हैं. साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में रामचरण बोहरा ने इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सांसद डॉ. महेश जोशी को 5 लाख से भी अधिक मतों से मात दी थी. 2014 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस दूसरे और आम आदमी पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी.

गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर जयपुर, केवल राजस्थान की राजधानी ही नहीं बल्कि राज्य की शान है. करोड़ों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहने वाले इस शहर की स्थापना 1728 में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी. जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा भी है. जयपुर की जनसंख्या 32 लाख 76 हजार 861 है. जिसमें से 94 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में और बाकि की 5 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है.

जयपुर लोकसभा सीट का इतिहास

1952 में इस सीट पर पहली बार आम चुनाव हुए थे जिसमें कांग्रेस के दौलत मल ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1957 में इस सीट पर निर्दलीय नेता हरीशचन्द्र शर्मा ने विजय हासिल की जबकि 1962 का चुनाव महारानी गायत्री देवी ने स्वंतत्र पार्टी के टिकट पर जीता था. इसके बाद गायत्री देवी इस सीट पर लगातार तीन बार सांसद चुनी गईं.

1977 में हुए आम चुनाव में जनता पार्टी जीती और सतीश अग्रवाल यहां के सांसद बने. साल 1980 में एक बार फिर, सतीश अग्रवाल जीते लेकिन इस बार उन्होंने बीजेपी के टिकट पर यहां जीत दर्ज की. 1984 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस जीत के साथ वापसी की लेकिन 1989 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने जीत लिया और गिरधारीलाल भार्गव यहां से एमपी चुने गए.

उन्होंने लगातार यहां पर 6 बार जीत दर्ज की. उनके विजय अभियान को कांग्रेस के डॉ. महेश जोशी ने साल 2009 के चुनाव में रोका लेकिन साल 2014 के चुनाव में एक बार फिर से इस सीट की बागडोर बीजेपी के हाथ में आ गई और रामचरण बोहरा यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे.

जातिगत समीकरण

गौरतलब है कि जयपुर में 87 प्रतिशत हिंदू और 10 प्रतिशत मु्स्लिम आबादी है. यहां ब्राह्मण वोटरों का बोलबाला रहा है और इसी वजह से यहां पर ब्राह्मण प्रत्याशियों को ही सफलता मिली है. फिर चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ने ही यहां जातिगत समीकरणों का फायदा उठाने की कोशिश की है लेकिन विकास के नाम पर वोट मांगने वाली बीजेपी का ये दांव इस बार भी यहां सफल होगा या फिर कांग्रेस अपनी हार का बदला लेगी, ये एक देखने वाली बात होगी. कुल मिलाकर इस बार जयपुर सीट पर रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा.

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