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व्यक्ति को अपने जीवन में उतार लेने चाहिए श्रीमद्भागवत गीता के यह तीन उपदेश

व्यक्ति को अपने जीवन में उतार लेने चाहिए श्रीमद्भागवत गीता के यह तीन उपदेश

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आप सभी को बता दें कि श्रीमद्भागवत गीता में जीवन का सार छिपाया गया है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति गीता के ज्ञान को अपने जीवन में उतार ले तो वो किसी भी परिस्थिति का सामना डटकर कर सकता है और ऐसे व्यक्ति को कोई नहीं हरा सकता है. कहते हैं गीता के पूर्ण ज्ञान को अपने जीवन में उतारना हर किसी के वश की बात नहीं है लेकिन गीता के कुछ उपदेश ऐसे हैं जिन्हें हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए क्योंकि उन्हें अपनाने से बहुत लाभ होता है. कहा जाता है अगर व्यक्ति गीता के इन प्रमुख उपदेशों को अपने जीवन में शामिल कर लेता है तो व्यक्ति को जीवन की हर समस्या का हल मिल जाता है और उसका जीवन ख़ुशी में भर जाता है. आइए जानते हैं वह कौन से उपदेश हैं, जो व्यक्ति को अपने जीवन में उतार लेने चाहिए.

# गीता में लिखा है इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है उसका स्वयं का क्रोध, अगर व्यक्ति अपने क्रोध पर नियंत्रण करना सीख ले तो वह बहुत सी परेशानियों से बच सकता है. गीता में कहा गया है कि क्रोध व्यक्ति की बुद्धि को नष्ट कर देता है, जो मनुष्य के पतन का कारण बनता है. इसी वजह से व्यक्ति को क्रोध नहीं करना चाहिए.# गीता में कहा गया है कि किसी भी बात को लेकर ​संदेह मत करो, जो लोग संदेह या शक करते हैं वे कभी प्रसन्न नहीं रह पाते हैं.

जो हो रहा है वह व्यक्ति के वश में नहीं है और न ही वह उसे बदल सकता है. इसी वजह से व्यक्ति को अपने मन में संदेह को जगह नहीं देनी चाहिए.इंसान के दुख का सबसे बड़ा कारण होता है कार्य को करने से पहले उसके परिणाम के बारे में सोचना और यही परिणाम व्यक्ति को कुछ भी करने से रोकता है.# गीता में कहा गया है कि कर्म करते रहो फल की इच्छा मत करो, अगर तुम मन लगाकर कर्म करोगे तो ईश्वर उसका फल अवश्य देगा. अगर व्यक्ति गीता के इस उपदेश को अपने जीवन में उतार ले तो उसे आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है.

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