Home > प्रदेश > उत्तराखंड > उत्तराखंड की इस यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाएगा साइबर क्राइम

उत्तराखंड की इस यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाएगा साइबर क्राइम

उत्तराखंड की इस यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाएगा साइबर क्राइम

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय...Editor

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में इस सत्र से नया कोर्स पढ़ाया जाएगा। विवि साइबर क्राइम सिक्योरिटी पर कोर्स शुरू करेगा। शनिवार को दो साल बाद हुई तकनीकी विवि की अकादमिक परिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में पीएचडी सहित विवि से जुड़े कई अहम मुद्दों पर भी निर्णय लिए गए। शनिवार को तकनीकी विवि में कुलपति डॉ. उदय सिंह रावत की अध्यक्षता में अकादमिक परिषद की बैठक हुई।

बैठक में सबसे पहले विवि का अकादमिक कैलेंडर पास किया गया। बैठक में तय किया गया कि इस साल इंजीनियर्स डे बड़े स्तर पर मनाया जाएगा। बैठक में सत्र 2016-17, 2017-18 में जितने पीएचडी धारक हैं, उन्हें डिग्री अवार्ड करने की सिफारिश की गई है। बैठक में एनआईटी श्रीनगर के उप निदेशक एसएन सोनी, डॉ. रूपेंद्र, अशोक विंडलास, पीएस बिष्ट, प्रो. वीके सिंह, प्रो. आरसी पांडेय, प्रो. एनपीएस चौहान, कुलसचिव प्रो. अनीता सहित कई सदस्य मौजूद रहे।

विवि में इस सत्र से नया सिलेबस

उत्तराखंड तकनीकी विवि में इस सत्र से नया सिलेबस पढ़ाया जाएगा। यह सिलेबस, उद्योगों की डिमांड के हिसाब से तैयार किया गया है। बैठक में इस पर मुहर लग गई। यह सिलेबस एआईसीटीई के मानकों के हिसाब से तैयार हुआ है। इस साल इंजीनियरिंग में जिन छात्रों ने दाखिला लिया है, उन्हें यही सिलेबस पढ़ाया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग करने के लिए विवि स्तर से एक समिति का गठन किया जाएगा।

साइबर क्राइम का ओपन इलेक्टिव पेपर

बैठक में तय किया गया है कि साइबर क्राइम सिक्योरिटी सिटी के लिए ओपन इलेक्टिव पेपर होगा। छात्र बीटेक की पढ़ाई के दौरान इस पेपर को दे सकेंगे। विवि ने लगातार बढ़ रहे साइबर अपराधों पर नियंत्रण के मद्देनजर यह पेपर लांच किया है।

चार साल का हुआ होटल मैनेजमेंट

वैसे तो देशभर में बीएचएमसीटी कोर्स की अवधि चार साल की है लेकिन तकनीकी विवि में आज भी यह कोर्स तीन साल की अवधि में संचालित हो रहा था। अकादमिक परिषद की बैठक में तय किया गया है कि यह कोर्स चार साल का ही होगा।

पीएचडी : प्रवेश परीक्षा के बाद छह माह का कोर्सवर्क

तकनीकी विवि ने पीएचडी ऑर्डिनेंस-2018 लागू कर दिया है। इसके तहत वही शिक्षक गाइड बन सकेंगे, जो कि विवि या इसके संघटक कॉलेज के नियमित फैकल्टी हों। गाइड निर्धारण के लिए विवि ने रिसर्च कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी यूजीसी के मानकों के हिसाब से गाइड का निर्धारण करेगी। यह भी तय किया गया है कि पीएचडी पंजीकरण को प्रवेश परीक्षा के बाद छह माह का कोर्सवर्क कराया जाना अनिवार्य होगा। यूजीसी के दिशा-निर्देशों पर पीएचडी अवार्ड की जाएगी। पीएचडी करने के लिए अधिकतम समय छह साल तय किया गया है।

कॉलेजों के फैसले कुलपति के हाथ में

अभी तक तकनीकी विवि के कई संघटक कॉलेजों में गठित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) कई फैसले खुद ही ले रही थी। इससे कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही थी। अकादमिक परिषद की बैठक में तय किया गया है कि यह बीओजी केवल एमएचआरडी के तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता कार्यक्रम के लिए होगी। इसके चेयरमैन उस कॉलेज के निदेशक होते हैं। बीओजी चेयरमैन के पास केवल इस प्रोजेक्ट के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार रहेंगे। कॉलेज के बाकी सभी फैसले विवि कुलपति के हाथ में होंगे। नई फैकल्टी को नियुक्ति से लेकर हटाने तक का पूरा फैसला कुलपति के अधीन होगा।

Tags:    
Share it
Top