उत्तराखंड में जख्म दे रहे है वन्यजीव, मरहम का इंतजार
- In उत्तराखंड 29 Dec 2018 9:11 AM GMT
71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वन्यजीवों के हमले कम होने का नाम नहीं ले रहे, उस पर सिस्टम की कार्यशैली प्रभावितों के जख्मों पर मरहम लगाने की बजाए और दर्द दे रही है। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पिछले तीन सालों से जंगली जानवरों के हमले में जान गंवाने वाले 158 लोगों के परिजनों को अभी तक मुआवजा नहीं मिल पाया है।
ऐसी ही स्थिति 939 घायलों के मामले में भी है। यही नहीं, पशु क्षति के 15455, भवन क्षति के 166 मामलों के साथ ही फसल क्षति के सैकड़ों प्रकरणों में प्रभावितों को मुआवजे का इंतजार है। भले ही उत्तराखंड वन्यजीवों के संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहा हो, लेकिन इसके लिए यहां के निवासियों को भारी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। वन्यजीव विभाग के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं।
वर्ष 2016-17 से अब तक के परिदृश्य को देखें तो वन्यजीवों के हमलों में 158 लोगों की जान गई। इनमें सबसे अधिक हमले बाघ व गुलदार के थे। घायलों की बात करें तो इसी अवधि में 939 लोग घायल हुए। इन सभी मामलों में अभी तक सरकार से मिलने वाली मुआवजा राशि प्रभावित परिवारों को नहीं मिल पाई है। ऐसा ही सूरतेहाल पशु, फसल व भवन क्षति के मामलों में भी हैं। विभाग बजट की कमी का रोना रोकर फिलहाल मुआवजा राशि वितरित करने में हाथ खड़े कर रहा है।