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आतंकवादियों का समर्थन करने से खफा देहरादून के कॉलेज, नहीं मिलेगा कश्मीरियों को दाखिला

आतंकवादियों का समर्थन करने से खफा देहरादून के कॉलेज, नहीं मिलेगा कश्मीरियों को दाखिला

पुलवामा में फिदायीन हमले के...Editor

पुलवामा में फिदायीन हमले के बाद देहरादून में पढ़ने वाले कई कश्मीरी छात्रों द्वारा आतंकवादियों के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए। इसी के मद्देनजर देहरादून के दो कॉलेजों ने अगले सत्र से कश्मीरी छात्रों को अपने संस्थान में दाखिला न देने की बात कही है।

देहरादून स्थित बाबा फरीद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और एल्पाइन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी ने फैसला किया है कि अगले सत्र से किसी कश्मीरी छत्रों को अपने संस्थान में दाखिला नहीं देंगे।

देहरादून स्थित बाबा फरीद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रिसिपल असलम सद्दिकी ने कहा कि यदि शिक्षण संस्थान का कोई छात्र देश विरोधी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो उसे तत्काल प्रभाव से संस्थान से बाहर कर दिया जाएगा और अगले सत्र से किसी भी कश्मीरी छात्र को दाखिला नहीं दिया जाएगा। एल्पाइन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर एसके चौहान ने भी कहा कि कश्मीरी छात्रों को अगले सत्र से दाखिला नहीं दिया जाएगा।

देहरादून पुलिस को दिलावर लोन की तलाश

पुलवामा हमले के बाद सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले एक और कश्मीरी युवक की पुलिस जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि वह भी देहरादून में किसी शिक्षण संस्थान का छात्र रहा है। हालांकि, अभी तक उसके देहरादून कनेक्शन का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

सुभारती मेडिकल कॉलेज के छात्र कैशर राशिद, डीबीआईटी के छात्र सैय्यद मुसैल के अलावा सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी दिलावर लोन की आईडी से की गई थी। उसके सोशल मीडिया अकाउंट की जांच खुफिया तंत्र कर रहा है। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक दिलावर लोन नाम की आईडी से कश्मीर के पुलवामा से कमेंट किया गया है। पुलिस देहरादून के शिक्षण संस्थानों में जाकर दिलावर को लेकर जांच कर रही है। पुलिस के अनुसार या तो आईडी फर्जी है या फिर किसी छात्र का दूसरा नाम ही दिलावर लोन है।

फिर शुरू हुआ कश्मीरी छात्रों का सत्यापन

कश्मीरी छात्रों का सत्यापन फिर से शुरू किया गया है। गत सितंबर माह में भी पुलिस ने सत्यापन अभियान चलाया था। इसमें कश्मीरी छात्रों की संख्या लगभग 550 बताई जा रही है। इस बार सघन सत्यापन अभियान में उनके आपराधिक रिकॉर्ड के अलावा सोशल मीडिया के इतिहास को भी देखा जा रहा है।

सोशल मीडिया पर पुलिस की नजर

पुलिस ने सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। आपत्तिजनक टिप्पणी और भड़काऊ बातें लिखने वाले के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही पुलिस की ओर से यह अपील भी की जा रही है कि सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणी करने से बचा जाए ताकि सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखा जा सके।

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