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जनप्रतिनिधियों के दबाव में काम कर रही पुलिस, आतंक फैला रहे आरोपितः हाईकोर्ट
- In उत्तरप्रदेश 14 April 2018 4:33 AM GMT
इलाहाबाद। उन्नाव दुष्कर्म...Editor
इलाहाबाद। उन्नाव दुष्कर्म मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह को आड़े हाथ लिया है। कोर्ट ने तल्ख आदेश में कहा कि 'यदि कोर्ट महाधिवक्ता के तर्कों को मान ले तो किसी भी पीडि़त को न्याय नहीं मिल सकता। सवाल उठाया कि 'क्या हत्या, लूट और डकैती के मामलों में भी गिरफ्तारी के पहले साक्ष्य इकट्ठा करने की वह दलील देंगे। कोर्ट ने यहां तक कहा कि आरोपितों के पक्ष में उनकी दलीलें सुनकर कोर्ट को धक्का लगा है और उनके तर्क भय उत्पन्न करने वाले हैं।
मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि महाधिवक्ता पूरे समय आरोपितों के पक्ष में बहस करते दिखे। उनका यह तर्क कि एफआइआर दर्ज होने और विश्वसनीय साक्ष्य इकट्ठा करने के बाद पीडि़ता का बयान जब तक नहीं हो जाता आरोपितों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, समझ से परे है। कोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता सीआरपीसी के संगीन अपराध हत्या, लूट, डकैती होने पर भी गिरफ्तारी से पहले साक्ष्य इकट्ठा करने की दलील दे सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि आरोपितों ने पीडि़त परिवार को आतंकित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और महाधिवक्ता का कहना है कि विवेचना अधिकारी आरोपित को गिरफ्तार नहीं करना चाहते। सामूहिक दुष्कर्म की पीडि़ता नौ महीने तक न्याय के लिए हर दरवाजे पर दस्तक देती रही और उसकी फरियाद कहीं नहीं सुनी गई। कोर्ट ने यहां तक कहा कि ऐसा करके आरोपितों को सुबूत मिटाने का पूरा मौका दिया गया।
कोर्ट ने दुष्कर्म पीडि़ता को राहत देने की बजाए उल्टे उसके परिवार पर ही मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने पर पुलिस की निंदा की। कोर्ट ने सीधे और सपाट लहजे में कहा कि पुलिस कानून की अनदेखी कर जनप्रतिनिधियों के दबाव में काम कर रही है। पीडि़त परिवार पर आरोपित ही आतंक कर रहे हैं और पुलिस महकमा चुप है।
सरकार को नसीहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीडि़ता और उसके परिवार के दर-दर भटकने पर भी इंसाफ न मिलने अफसोस जताया। साथ ही सरकार को भी नसीहत दी कि गंभीर मामलों में सरकारी मशीनरी की कार्यवाही की सख्त निगरानी हो।
बीस पेज का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्नाव में लड़की और उसके परिवारीजन पर हुए गंभीर अपराध को सीधे संज्ञान लेते हुए कुल 20 पेज का आदेश जारी किया, जिसमें सिर्फ और सिर्फ कानून व्यवस्था, पुलिस की कार्यशैली और न्याय व्यवस्था की छवि धूमिल करने वालों पर तंज कसा गया।
कौन हैं राघवेंद्र सिंह?
यूपी में हरदोई जिले के रहने वाले राघवेंद्र सिंह 1977 से वकालत कर रहे हैं। विधि व्यवसाय इन्होंने हरदोई से ही शुरू किया और 1980 से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में प्रैक्टिस कर रहे हैं। 1998 में राघवेंद्र हरदोई की शाहाबाद सीट से भाजपा सांसद निर्वाचित हुए। 2008 में वो अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए। 66 वर्षीय राघवेंद्र सिंह छह साल तक भाजपा की लीगल विंग के राष्ट्रीय संयोजक भी रह चुके हैं। राज्यपाल के अनुमोदन के बाद मुख्यसचिव राहुल भटनागर ने उन्हें महाधिवक्ता के पद पर नियुक्त किए जाने की अधिसूचना जारी की थी।
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