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अक्षयवट का दर्शन कर पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं को मिला 'मोक्ष का वरदान

अक्षयवट का दर्शन कर पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं को मिला मोक्ष का वरदान

कुंभ की अद्भुत, अलौकिक दुनिया...Editor

कुंभ की अद्भुत, अलौकिक दुनिया देश-विदेश से कुंभ में कल्पवास और संगम स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं को खूब भा रही है। लाखों श्रद्धालु के लिए कौतूहल का विषय बना किला स्थित अक्षयवट भी आस्था का केंद्र बना हुआ है। यही वजह है कि 10 जनवरी से लेकर अब तक अक्षयवट दर्शन करने वालों की संख्या पांच लाख से ऊपर पहुंच गई है। मोक्ष की कामना को लेकर अक्षयवट दर्शन करने वालों की संख्या मकर संक्रांति के बाद से प्रतिदिन एक लाख से अधिक पहुंच गई है।

10 जनवरी को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया

ऐतिहासिक प्रयागराज के दुर्ग में स्थित अक्षयवट को आमजनों के दर्शनार्थ 10 जनवरी को खोला गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका उद्घाटन किया था। लोगों की उत्सुकता का केंद्र रहे अक्षयवट का पहले ही दिन सात हजार लोगों ने दर्शन किया था। दूसरे ही दिन यह संख्या 30 हजार पहुंच गई। 14 जनवरी तक करीब 50 हजार श्रद्धालुओं ने अक्षयवट के दर्शन किए थे। इस बीच तकनीकी वजहों से दर्शन का क्रम प्रभावित भी रहा। स्नान पर्व होने के कारण मकर संक्रांति के दिन दर्शन बंद रहा। 16, 17 जनवरी को दर्शन करने वालों की संख्या करीब 60 हजार रही। 18 जनवरी को एक लाख 17 हजार, 19 जनवरी को एक लाख 25 हजार व 20 जनवरी को एक लाख 22 हजार 438 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।

क्या कहते हैं उप मेलाधिकारी

उप मेलाधिकारी प्रेमचंद्र यादव ने बताया कि मकर संक्रांति के बाद अक्षयवट दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ है। तीन दिन से औसतन एक लाख से ऊपर श्रद्धालु अक्षयवट के दर्शन कर रहे हैं। पौष पूर्णिमा सहित मुख्य स्नान पर्व पर अक्षयवट का दर्शन बंद रहेगा। दर्शन का समय सुबह सात बजे से सायं पांच बजे तक रखा गया है।

ज्योतिर्विद बताते हैं अक्षयवट की महिमा

ज्योतिर्विद हरेकृष्ण शुक्ला कहते हैं कि धरती पर प्रलय आने पर भी अक्षयवट को क्षति नहीं पहुंची। प्रयाग महात्म्य, पद्म व स्कंद पुराण में अक्षयवट के दर्शन को मोक्ष का माध्यम बताया गया है। यह भगवान विष्णु का साक्षात विग्रह माना जाता है। यही कारण है कि अक्षयवट के दर्शन-पूजन का महत्व है। संगम में स्नान के बाद अक्षयवट के दर्शन-पूजन का विशेष महत्व है। संगम स्नान व कल्पवास का उद्देश्य भी जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति है और अक्षयवट के दर्शन का भी यही उद्देश्य है।

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