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12 भाषाएं, 1878 पुस्तकें और 68 करोड़ प्रतियां- नए मानक गढ़ रहा गोरखपुर का गीता प्रेस

12 भाषाएं, 1878 पुस्तकें और 68 करोड़ प्रतियां- नए मानक गढ़ रहा गोरखपुर का गीता प्रेस

श्रीमद्भगवद्गीता,...Editor

श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीरामचरितमानस, महाभारत, पुराण व पूजा पद्धतियों के ग्रंथ इस देश के सभी भाषा भाषियों को उनकी भाषा में पढऩे को मिल सकें, इसके लिए गीताप्रेस अनवरत प्रयास कर रहा है। इस समय 12 क्षेत्रीय भाषाओं में अनेक धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन गीताप्रेस कर रहा है। इससे जहां धार्मिक-सांस्कृतिक चेतना को बल मिल रहा है, वहीं क्षेत्रीय भाषाओं के विकास में भी गीताप्रेस के जरिये बड़ा योगदान संभव हो पा रहा है।

गीताप्रेस न सिर्फ धार्मिक पुस्तकों को प्रकाशित कर धर्म व संस्कृति की रक्षा का महती भार उठा रहा है, बल्कि ङ्क्षहदी के साथ ही अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए भी कार्य कर रहा है। हिंदी, संस्कृत व अंग्रेजी के अलावा 12 क्षेत्रीय भाषाओं में गीताप्रेस पुस्तकें प्रकाशित कर उनका विकास कर रहा है। इनमें बंगला, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उडिय़ा, असमिया, उर्दू, पंजाबी व नेपाली भाषा हैं। गीताप्रेस ने अपनी स्थापना के दो साल बाद ही क्षेत्रीय भाषाओं में धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन शुरू कर दिया था। सबसे पहले बंगला में गीता का प्रकाशन हुआ था। इसके बाद विभिन्न भाषाओं में विभिन्न पुस्तकों का प्रकाशन किया गया और उनके अनेक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। मार्च 2018 तक विभिन्न भाषाओं में कुल 1878 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है, इनमें से 872 हिंदी व संस्कृत की पुस्तकें हैं और 1006 पुस्तकें अन्य भारतीय भाषाओं में प्रकाशित हुई हैं, अब तक इन पुस्तकों की प्रतियों की संख्या लगभग 68 करोड़ है।

गीता प्रेस के ट्रस्‍टी देवीदयाल अग्रवाल कहते हैं कि धार्मिक ग्रंथ तो सभी के हैं, भले ही उनकी भाषा चाहे जो हो। इसलिए कोशिश की जाती है कि लोगों को धार्मिक ग्रंथों को पढऩे-समझने में भाषा बाधक न बने, इसलिए 15 भाषाओं में गीताप्रेस पुस्तकें प्रकाशित करता है। इससे एक तो धार्मिक पुस्तकें लोगों को उनकी भाषा में मिल जाती हैं, दूसरे क्षेत्रीय भाषाओं का विकास भी होता है।

गीता प्रेस की पुस्तकों से संस्कार सीखेंगे बच्‍चे

परिषदीय विद्यालयों में पढऩे वाले ब'चों को पाठ्यक्रम के साथ ही संस्कार का भी पाठ पढ़ाया जाएगा। ब'चों के लिए रुचिकर गीता प्रेस की बाल साहित्य से जुड़ी किताबें ब'चों को संस्कारी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। नगर क्षेत्र के विद्यालयों में पुस्तकालयों की स्थापना की जाएगी और यहां बालोपयोगी एवं समाजोपयोगी पुस्तकें जन सहयोग से मंगाई जाएंगी। मंडलायुक्त अमित गुप्ता सभी विद्यालयों में गीता प्रेस की एक सेट पुस्तकें भेंट करेंगे। मंडलायुक्त ने परिषदीय विद्यालयों में पुस्तकालय को समृद्ध बनाने का निर्देश दिया है। पहले चरण में नगर क्षेत्र के 79 विद्यालयों में बेहतरीन पुस्तकालय बनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने सभी विद्यालयों में गीता प्रेस की बाल साहित्य से जुड़ी किताबों का सेट देने की घोषणा की है। कक्षा एक से आठ तक के ब'चों के लिए पुस्तकालय में किताबें मौजूद रहेंगी।

लिया जाएगा जन सहयोग

गीता प्रेस के अतिरिक्त भी ऐसी किताबें जिनमें कोई सीख देने वाली रुचिकर कहानियां हों, समाजोपयोगी किताब, चित्रयुक्त व शिक्षाप्रद किताबें भी रखी जाएंगी। इसके लिए शिक्षा विभाग समाज के लोगों से भी अपील कर रहा है। नगर शिक्षा अधिकारी ब्रह्मïचारी शर्मा ने कहा कि समाज के लोग पुस्तकालय को ब'चों के उपयोग लायक किताबें दे सकते हैं। इस संबंध में जानकारी के लिए उनसे एवं नगर संसाधन केंद्र में कार्यरत कार्यालय सहायक अरुण पांडेय से संपर्क किया जा सकता है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि परिषदीय विद्यालयों में ब'चों के उपयोग लायक किताबों से पुस्तकालयों को समृद्ध किया जाएगा। जल्द ही सभी पुस्तकालयों में किताबें मौजूद होंगी।

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