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16 से 18 सितम्बर को प्रदेश के छह जिलों में अमित शाह भरेंगे हुंकार

16 से 18 सितम्बर को प्रदेश के छह जिलों में अमित शाह भरेंगे हुंकार

भाजपा के चाणक्य के विधानसभा...Editor

भाजपा के चाणक्य के विधानसभा चुनावों को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी की संसदीय सीटों पर कमान संभालने वाले अमित शाह राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के लिए भी खास रणनीति पर भी कार्य कर रहे हैं। यही कारण है कि इस वर्ष 21 जुलाई को दौरा करने के बाद शाह 11 सितम्बर को एक बार फिर राजस्थान आए व अब 16 से 18 सितम्बर को वह फिर प्रदेश के छह जिलों के प्रवास पर आ रहे हैं।

अगले वर्ष अप्रैल, मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस वर्ष । मिशन 2019 की राह में भाजपा वर्ष 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव को भी जरूरी मान रही है। इस लिस्ट में पार्टी ने राजस्थान को भी सबसे ऊपर रखा है। भाजपा की नजर में राजस्थान की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपना फोकस राजस्थान पर कर दिया है। भाजपा के प्रवक्ता मुकेश पारीक कहते हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे संगठन के साथ ही चुनावी तैयारियों के लिए भी जरूरी हैं। उन्होंने कहा, अमित शाह के दौरों से कार्यकर्ताओं में नयी जान आई है।

अमित शाह की नजर में कि पहले कुछ सभाओं तक उनके दौरों को सीमित करने के प्लान में बड़ा परिवर्तन हुआ.। अब प्रदेश के हर संभाग में अमित शाह जाएंगे व शक्ति केन्द्र संयोजकों की बैठकें करेंगे। इसी कड़ी में 11 सितम्बर का दौरा हुआ था। वहीं, अब 16 से 18 सितम्बर को एक बार फिर अमित शाह छह जिलों के दौरे पर आ रहे हैं। इनमें से जोधपुर, पाली, नागौर, उदयपुर व भीलवाड़ा में वे कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे। जबकि राजसमन्द में श्रीनाथजी के मन्दिर के भी दर्शन करेंगे।

अमित शाह के दौरे अब इस बात का इशारा देने लगे हैं कि पार्टी अपने मिशन 180 प्लस के लिए कितनी गम्भीरता से जुटने लगी है। इसका एक इशारा यह भी है कि पिछले वर्ष 21 जुलाई को तीन दिन के प्रवास पर अजेय भाजपा का नारा देने वाले अमित शाह इस वर्ष भी 21 जुलाई को एक दिन के दौरे पर राजस्थान आए थे। इस दौरान भी उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए विस्तारकों के साथ ही साइबर योद्धाओं, सांसदों व विधायकों को भी जीत का मन्त्र दिया था। पार्टी की तरफफ से यह प्रयास इसलिए भी की जा रही है क्योंकि भाजपा मान रही है कि 2019 का रास्ता 2018 के विधानसभा चुनाव से ही होकर जाएगा।

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