पेट्रोल डीजल में महंगाई का जारी रह सकता है दौर, रुपये पर पड़ रहा दबाव
- In बिजनेस 25 Sept 2018 11:49 AM IST
पेट्रोल और डीजल को लेकर अब यह लगभग साफ हो गया है कि अगर केंद्र या राज्यों की तरफ से राहत नहीं दी जाती है तो आने वाले दिनों में आम जनता को इनकी कीमतों में राहत मिलने के कोई आसार नहीं है। अमेरिका और चीन के बीच तेज होते ट्रेड वार से अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनिश्चितता फैल रही है। इससे भारतीय रुपये पर दबाव और बढ़ गया है। रही सही कसर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ रही कीमतें पूरी कर रही हैं। सोमवार को यह पिछले महीनों की उच्चतम स्तर 80.94 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है।
सरकार ने पिछले हफ्ते रुपये को थामने के लिए नए उपाय करने का एलान किया था, लेकिन देश के मुद्रा बाजार पर इसका असर नहीं दिख रहा है। सोमवार को मुद्रा बाजार बंद होने के समय रुपया शुक्रवार के मुकाबले 43 पैसे कमजोर होकर 72.64 के स्तर पर बंद हुआ। इसका साफ मतलब हुआ कि आने वाले दिनों में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में और इजाफा देखने को मिलेगा।
सोमवार को भी सरकारी तेल कंपनियों ने दिल्ली में पेट्रोल की कीमत में 11 पैसे और डीजल में पांच पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की। दिल्ली में पेट्रोल 82.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल 74.02 रुपये प्रति लीटर रही। लेकिन देश के कई हिस्सों में पेट्रोल रुपये और डीजल 78 रुपये प्रति लीटर से ऊपर बिक रहा है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ज्यादा स्थानीय कर होने की वजह से पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतें सबसे ज्यादा है।
आयात के बजाय स्टॉक का क्रूड खपाने की तैयारी:
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। आयातित तेल का पूरा भुगतान डॉलर में होता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत में होने वाली वृद्धि या डॉलर की मजबूती सीधे तौर पर कच्चे तेल के आयात को महंगा करती है। इस महंगाई को तेल कंपनियां आम जनता पर डालती हैं। अब तेल कंपनियां कुछ ऐसे उपाय करने की सोच रही हैं, जिससे आयातित तेल बिल को कुछ कम किया जा सके। मसलन, कुछ दिनों तक क्रूड न खरीदा जाए और पहले से उपलब्ध स्टाक में बचे क्रूड का इस्तेमाल किया जाए।
तेल कंपनियां दुनिया भर से लगातार क्रूड खरीदती हैं। कुछ क्रूड तेल कंपनियों के भंडार में होता है। तेल कंपनियां का कहना है कि फिलहाल इनका इस्तेमाल किया जाएगा और नए खरीद के सौदे नहीं किए जाएंगे। यह फॉर्मूला तभी कामयाब होगा जब कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम हो जाए।