आपदा राहत के लिए जीएसटी सेस के विकल्प पर विचार
- In बिजनेस 28 Sept 2018 5:18 PM IST
प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए जीएसटी काउंसिल लक्जरी गाड़ियों और तंबाकू उत्पादों पर सेस की दर बढ़ा सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शुक्रवार को काउंसिल की बैठक होगी जिसमें इस आशय के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। खास बात यह है कि केरल को वित्तीय मदद मुहैया कराने के इरादे से काउंसिल में लाए गए इस प्रस्ताव से हिमाचल प्रदेश सहित पूवरेत्तर के उन राज्यों को भी फायदा होगा जहां इस साल बाढ़ से व्यापक स्तर पर हानि हुई है।
सूत्रों ने कहा कि जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगी। केरल ने अतिरिक्त धनराशि जुटाने के लिए सेस लगाने की मांग की थी। इसलिए काउंसिल इस संबंध में राज्य सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेगी। हालांकि यह सेस किस तरह लगाया जाएगा, अभी इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। ज्यादा संभावनाएं इस बात की हैं कि काउंसिल मौजूदा सेस की दर को ही बढ़ा सकती है ताकि अतिरिक्त धनराशि जुटायी जा सके। जीएसटी में फिलहाल सिर्फ क्षतिपूर्ति सेस लगाने का प्रावधान है। इससे जो भी राशि जुटायी जाती है उससे उन राज्यों को राजस्व की भरपाई की जाती है जहां अनुमान से कम राजस्व संग्रह हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी लागू करने के लिए संविधान में 101वें संशोधन के बाद जो नया अनुच्छेद 279ए जोड़ा गया था, उसकी धारा चार की उपधारा एफ में जीएसटी काउंसिल को प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य तरह की आपदा की स्थिति में राजस्व जुटाने के लिए एक विशेष अवधि के लिए जीएसटी की विशेष दर तय करने का अधिकार दिया गया है। इसमें साफ कहा गया है कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सरकार अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए जीएसटी की विशेष दर तय कर सकती है। इसी धारा का इस्तेमाल कर काउंसिल मौजूदा सेस की दर बढ़ा सकती है। फिलहाल लक्जरी गाड़ियों और तंबाकू उत्पादों पर सेस लगता है।
वैसे इससे पूर्व सरकार ने चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए चीनी पर सेस लगाने की दिशा में कदम उठाया था लेकिन तब यह सवाल उठा था कि सरकार सेस लगा सकती है या नहीं। इसके बाद ही वित्त मंत्रलय ने उस पर कानून मंत्रलय से राय मांगी थी। कानून मंत्रलय ने इसे अटॉर्नी जनरल के पास भेज दिया था लेकिन एजी ने अब तक इस पर कोई राय नहीं दी है।1फिलहाल जीएसटी संग्रह हर माह औसतन लगभग 95,000 करोड़ रुपये रहा है। जब तक जीएसटी संग्रह में वृद्धि नहीं हो जाती, तब तक अतिरिक्त राजस्व जुटाने के उपाय लागू रह सकते हैं