ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को राहत
- In बिजनेस 25 Jan 2019 1:26 PM IST
ई-कॉमर्स कंपनियों पर एफडीआई से जुड़े नए नियम लागू होने की तिथि बढ़ सकती है. अभी ये नियम 1 फरवरी से लागू होना तय है. सरकार की तरफ से डेडलाइन को 2 से 3 महीने तक आगे बढ़ा सकती है. ऐसा होने पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शॉपिंग करने वालों को अभी कुछ और दिन तक डिस्काउंट मिलना जारी रहेगा. आपको बता दें दिसंबर में सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कर ई-कॉमर्स कंपनियों में एफडीआई से जुड़े नियमों को सख्त किया था. इस नियम के लागू होने के बाद फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ऑनलाइन कंपनियां अपने प्लेटफार्म पर एक्सक्लूसिव प्रोडक्ट नहीं बेच पाएंगी.
किसी माल के लिए एक्सक्लूसिव प्लेटफॉर्म नहीं होगा
सरकार की सफाई के अनुसार ई-कॉमर्स कंपनियां मार्केट प्लेस कंपनियां है और बिजनेस टू बिजनेस मॉडल में ही 100 प्रतिशत एफडीआई की ऑटोमेटिक रूट के जरिये अनुमति है. सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार विक्रेताओं पर ई-कॉमर्स कंपनियां दबाव नहीं डाल सकतीं और विक्रेता अपना माल कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेच सकेगा. कई मौकों पर नए फोन या प्रोडक्ट सिर्फ चुनिंदा ई-कॉमर्स साइट पर ही लॉन्च होते है लेकिन नए नियमों के बाद किसी माल के लिए एक्सक्लूसिव प्लेटफॉर्म नहीं होगा.
ई -कॉमर्स कंपनियों की दलील
ई-कॉमर्स कंपनियों ने सरकार को दलील दी है कि नए नियमों को समझने के लिए उन्हें पर्याप्त वक्त नहीं मिला है. ऐसे में छह महीने का एक्सटेंशन दिया जाना चाहिए. जानकारों का यह भी कहना है कि फ्लिपकार्ट और अमेजन की प्राइवेट लेबल प्रोडक्ट की हजारों करोड़ की इन्वेंटरी कंपनी के पास पड़ी है इसलिए अगर नए नियम लागू होते हैं तो उस इन्वेंटरी के सामान को कंपनी अपने प्लेटफार्म पर नहीं भेज पाएगी.
सरकार पर अमेरिका से भी दबाव
दुनिया के सबसे बड़े रिटेलर वॉलमार्ट ने भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 16 मिलीयन डॉलर का निवेश किया है और 77 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीदी है. इसके बाद भारत में मौजूद दोनों बड़े ई-कॉमर्स प्लेयर अमेजन और फ्लिपकार्ट का अमेरिका कनेक्शन है. अमेरिकी सरकार भी फ्लिपकार्ट और अमेजन के हितों को देखते हुए भारत सरकार पर नियमों में ढील देने का दबाव बना रही है. अमेरिका की सरकार ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच में द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध अच्छे हैं इसलिए अमेरिकी कंपनियों के हितों की रक्षा रक्षा होनी चाहिए.
घरेलू मोर्चे पर विरोध
दूसरी तरफ घरेलू रिटेल संगठन 1 फरवरी की डेडलाइन को आगे बढ़ाने का लगातार विरोध कर रहे हैं. सीए आईटी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कई मांगे रखी है. पीएम को लिखे गए पत्र में साफ-साफ लिखा है कि 1 फरवरी की तिथि को आगे नहीं बढ़ाया जाए. ई-कॉमर्स पॉलिसी को जल्द से जल्द जारी किया जाए. साथ ही जो कंपनियां ई-कॉमर्स पॉलिसी से जुड़े नियमों को मानती उन पर सख्त कार्रवाई की जाए. आपको बता दें छोटे रिटेलर की हमेशा से शिकायत रही है कि नियमों का पालन नहीं करके ई-कॉमर्स कंपनियां गलत तरीके से डिस्काउंट दे रही है. चुनाव से ठीक पहले सरकार लाखों-करोड़ों छोटे रिटेलर्स को भी नाराज नहीं कर सकती.
ई-कॉमर्स कंपनियों पर होगया यह असर
फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी कंपनियां अपनी सब्सिडियरीज बना कर उनके प्रोडक्ट्स अपने प्लेटफॉर्म पर बेचती हैं, लेकिन किसी भी कंपनी में अगर ई-कॉमर्स कंपनी की हिस्सेदारी है तो वो कंपनियां अपना या सब्सिडियरीज का माल नहीं बेच सकेंगी. ग्राहकों की संतुष्टि के लिए विक्रेता भी जिम्मेदार होगा और दाम घटाने के लिए विक्रेता पर दबाव नहीं डाला जा सकता. यानी फ्लिपकार्ट और अमेजन भारी भरकम डिस्काउंट नहीं दे पाएंगी. ऑफर्स पर भी ई-कॉमर्स कंपनियों को सफाई देनी होगी और कैश बैक देने में पारदर्शिता बरतनी होगी. ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए नियम 1 फरवरी 2019 से लागू होने हैं.