इन 5 कारणों से सितम्बर महीने में धड़ाम हुआ बाजार, आगे भी रहेगा दबाव
- In बिजनेस 2 Oct 2018 4:38 PM IST
भारतीय शेयर बाजार में सितम्बर महीने में भारी गिरावट देखी गई. इस गिरावट के पीछे जहां बाहरी कारण थे वहीं देश के अंदर भी बहुत सी ऐसी घटनाएं रहीं जिससे बाजार में कमजोरी को बढ़ा दिया. रुपये में कमजोरी, कच्चे तेल के बढ़ते दाम व एनबीएफसी में तरलता की कमी ऐसे मुद्दे रहे जिन्होंने बाजार को कमजोर किया. सितम्बर महीने मे बाजार में 06 फीसदी की गिरावट देखी गई. वहीं बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 12.55 फीसदी और स्मॉल कैप इंडेक्स 16 फीसदी गिरा. सितम्बर में सेंसेक्स में 2417.93 प्वाइंट की गिरावट रही वहीं निफ्टी में 750.05 प्वाइंट की गिरावट देखी गई.
बाजार में गिरावट के ये रहे कारण ...
भारतीय शेयर बाजार में सितम्बर महीने में भारी गिरावट देखी गई. इस गिरावट के पीछे जहां बाहरी कारण थे वहीं देश के अंदर भी बहुत सी ऐसी घटनाएं रहीं जिससे बाजार में कमजोरी को बढ़ा दिया. रुपये में कमजोरी, कच्चे तेल के बढ़ते दाम व एनबीएफसी में तरलता की कमी ऐसे मुद्दे रहे जिन्होंने बाजार को कमजोर किया. सितम्बर महीने मे बाजार में 06 फीसदी की गिरावट देखी गई. वहीं बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 12.55 फीसदी और स्मॉल कैप इंडेक्स 16 फीसदी गिरा. सितम्बर में सेंसेक्स में 2417.93 प्वाइंट की गिरावट रही वहीं निफ्टी में 750.05 प्वाइंट की गिरावट देखी गई.
रुपये में कमजोरी
सितम्बर महीने में सभी विकासशील देशों की मुद्राओं में गिरावट देखी गई. डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 13 फीसदी की गिरावट रही. विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से लगातार बजार से पैसे निकालने और बाजार में लिक्विडिटी की कमी के चलते बाजारों में गिरावट देखी गई.
कच्चे तेल के लगातार बढ़ते दाम
भारत के बाजारों पर कच्चे तेल की कीमतों का असर पड़ता ही है. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता ही है. सितम्बर महीने में कच्चा तेल 71 रुपये प्रति बैरल से बढ़ कर 82 रुपये पर पहुंच गया.
बढ़ा व्यापार घाटा
रुपये में कमजोरी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते व्यापार घाटा तेजी से बढ़ा. हमें तेल आयात करने के लिए अधिक पैसे खर्च करने. आयात और निर्यात में खर्च का अंतर बढ़ गया.
बाजार को सता रही ट्रेड वॉर की चिंता
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार की चिंताओं के चलते पूरे महीने बाजार सहमा रहा. अमेरिका ने चीनी कंपनियों के ऊपर लगभग 200 बिलियन डॉलर का टेरिफ लगा दिया है. इसका असर पिछले महीने चीनी उत्पादों पर पड़ा ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में चीन अमेरिका की इस हरकत के लिए कड़े कदम उठाते हुए अमेरिकी कंपनियों पर भारी टैरिफ लगा सकता है.
IL&FS- की लिक्विडिटी की समस्या
बाजार पर सबसे अधिक असर देश की बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी IL&FS कैश की कमी के चलते अपने कई बांड होल्डर्स को ब्याज का भुगतान नहीं कर पाई. वहीं कई बड़ी रेटिंग एजेंसियों ने कंपनी में कैश की कमी को ध्यान में रखते हुए अचानक से इस कंपनी की रेटिंग 'AAA' से घटा कर D कर दी. ऐसे में बाजार में हडकंप मच गया. इस कंपनी में एलआईसी सहित कई बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनियों व बैंकों का पैसा लगा हुआ है