GST टैक्स स्लैब में हो सकता है बदलाव, कम होंगी टैक्स दरें, अरुण जेटली ने दिए संकेत
- In बिजनेस 1 July 2018 4:43 PM IST
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के एक साल पूरा होने पर सरकार जीएसटी दिवस मना रही है. इस मौके पर लंबी छुट्टी के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में लौटे केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में अप्रत्यक्ष करों की जटिलता खत्म हुई है. जीएसटी के चलते टैक्स कलेक्शन में बड़ा इजाफा हुआ है. जरूरी चीजों के दाम कम हुए हैं. जतना को भी कम टैक्स से बड़ी राहत मिली है. इस बीच जीएसटी ने इशारा दिया कि सरकार अब जीएसटी के टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकती है. स्लैब में बदलाव होने से इसकी दरें और कम हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि टैक्स कलेक्शन में इजाफा होने से अब सरकार स्लैब की दरों में कमी करके जनता को राहत दे सकती है. हालांकि, टैक्स स्लैब बढ़ाए जा सकते हैं.
सरकार की ग्रॉस इनकम में इजाफा
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम का हिस्सा बने अरुण जेटली ने कहा एडवांस टैक्स पेमेंट से ग्रॉस इनकम में इजाफा हुआ है. जीएसटी की वजह से भारत एक संगठित बाजार बना है. यह सरकार के सबसे बड़े और प्रमुख फैसलों में से एक है. जेटली ने कहा पिछले साल की देश का सबसे जटिल टैक्स सिस्टम खत्म कर दिया गया. पहले 17 मल्टिपल टैक्स और 5 तरह के रिटर्न की व्यवस्था थी, 23 तरह के सेस लगे थे. टैक्स पर टैक्स लगता था. हर राज्य अपने मुताबिक अलग रेट तय करते थे. तब जाकर कहीं टैक्स रिटर्न फाइल होता था. देश में संघीय ढांचे तो ध्यान में रखते हुए जीएसटी को तैयार किया गया.
'टैक्स बढ़ा, अब दरें घटाने का वक्त'
अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी से पिछली अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की तुलना में 21 फीसदी का इजाफा हुआ है. टैक्स का कलेक्शन बढ़ा है, इसलिए रेट्स में कमी करने और उनके रैशनलाइज करने की क्षमता में इजाफा हुआ है. जीएसटी काउंसिल आगे की व्यवस्था को देखते हुए यह तय करेगी कि दरों में कितना बदलाव हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, 28 फीसदी वाले सबसे ऊंचे स्लैब को खत्म कर कम दर का स्लैब तैयार हो सकता है. बता दें 28 फीसदी स्लैब में लग्जरी और बड़े आइटम्स आते हैं. वहीं, वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 18 फीसदी वाले स्लैब को कम किया जा सकता है. क्योंकि, इसमें जनता के काम से जुड़ी कई चीजें हैं. इससे बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
कम दर रखने के बाद भी बढ़ा रेवेन्यू
अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी को लागू करने से पहले राज्यों के साथ सब चीजें मिलकर तय की गई थीं. वहीं, जीएसटी काउंसिल का गठन भी इसी तरह किया गया. सभी राज्यों के प्रतिनिधि इसमें शामिल किए गए. जेटली ने जीएसटी को काफी आसान प्रणाली बताया. इसके तहत एक बार टैक्स भरना होता है. एक ही बार रिटर्न फाइल किया जाता है. जीएसटी के आने से चेक पोस्ट्स खत्म हुए. जटिलता खत्म हुई. टैक्स दरें नहीं बढ़ाई गईं, बल्कि घटाने के बावजूद भी रेवेन्यू में इजाफा देखने को मिला. अरुण जेटली ने कहा यह एक साल जीएसटी के लिए वाकई शानदार सफर रहा. हालांकि, जीएसटी का बेस्ट आना अभी बाकी है