PAN CARD के लिए ऑफलाइन कर रहे हैं आवेदन, तो भूलकर भी न करें ये गलतियां
- In बिजनेस 5 May 2019 2:07 PM IST
आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं, यह एक 'उपकार' हुआ करता था। कम से कम 1995 तक तो यही स्थिति थी। उस समय यदि आप एक नए (या मध्य वर्ग के) निवेशक होते, तो संभव है कि निवेश के लिए देशभर में सबसे अच्छा आइडिया आपके पास होता। लेकिन संभव यह भी है कि आप एक भी ऐसे व्यक्ति को नहीं खोज पाते, जो ब्रोकर बनना चाहता हो। ब्रोकर की सेवा लेने के लिए आपको कुछ संपर्क साधना पड़ता, कुछ मनुहार करने पड़ते। और यदि आपको कोई ब्रोकर मिल भी जाता तो वह अपना कमीशन तो लेता ही, साथ ही इस बात की भी पूरी संभावना थी कि वह आपकी निवेश राशि का एक बड़ा हिस्सा डकार जाता। इसका कारण यह है कि उन दिनों आपके पास यह पता करने का कोई तरीका नहीं था कि ब्रोकर के माध्यम से जो शेयर आपने खरीदे, उनकी खरीद-बिक्री असल में कितनी कीमत पर हुई।इस स्थिति के लिए हालांकि सिर्फ ब्रोकर को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि समाजवाद के उन गौरवशाली दिनों में अधिकतर काम-काज ऐसे ही होते थे। चाहे बजाज स्कूटर खरीदने की बात हो, या रेलवे टिकट की या फिर घरेलू सामान खरीदने की, कहानी कमोबेश एक जैसी ही थी।
वित्तीय निवेश को लेकर हालांकि समस्या इसलिए अधिक थी कि यह अन्य सामान खरीदने जैसा नहीं था। किसी सामान को हासिल करने के लिए उन दिनों आपको कुछ अतिरिक्त भुगतान करना होता था या कुछ कनेक्शन चाहिए होते थे। लेकिन यदि आपको स्कूटर चाहिए था तो मिलता स्कूटर ही था। निवेश के साथ हालांकि ऐसी बात नहीं थी। यदि निवेश में से कोई मलाई उतार ले, तो सकारात्मक रिटर्न होने के बाद भी आपकी अंटी खाली की खाली रहेगी।
तब से लेकर आज तक हमने काफी लंबी यात्रा तय कर ली है। उन दिनों बाजार का कोई नियामक भी नहीं होता था। लेकिन आज काफी बदलाव हो चुका है। नियामक, डीमैट, कंप्यूटराइज्ड एक्सचेंज और सभी खरीद-बिक्री का पूरा ऑडिट रिकॉर्ड, ऑनलाइन ट्रेडिंग और बैंकिंग सिस्टम के साथ रियल टाइम लिंकेज जैसी कई चीजें आज के बाजार की अनिवार्य खासियतें हैं। आज हम ऐसे समय में पहुंच चुके हैं, जहां बाजार में होने वाली किसी भी चीज को कोई झुठला नहीं सकता है। जिस नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) या शेयर मूल्य पर आप निवेश करते हैं, उसके बारे में कोई भी बिचौलिया कोई झूठी कहानी नहीं गढ़ सकता है। खरीद-बिक्री का ब्यौरा पूरी तरह से पारदर्शी होता है और वह हर तरह से भरोसेमंद भी होता है।
स्थिति में व्यापक सुधार हुआ है, हालांकि अब भी हमें काफी लंबा सफर तय करना है। अब मुद्दा बदल गया है। दुर्भाग्य से अब जो यात्रा हमें करनी है वह पहले से काफी अधिक कठिन होगी। इसका कारण यह है कि जो प्रणालीगत बदलाव सरकार या नियामक या एक संस्थान कर सकते हैं, वे लगभग हो चुके हैं। चाहे जितना भी परिश्रम करना पड़ा हो या चाहे जितना भी समय लगा हो, ये सारे सुधार आसान थे।
मौजूदा स्थिति में यदि आप चाहते हैं कि निवेश के मामले में कोई आपको चूना नहीं लगा जाए, तो आपको इस क्षेत्र के तौर-तरीके सीखने होंगे और बाजार के लिए जरूरी जानकारियां और समझ हासिल करनी होंगी। जानकारियों और समझ के बारे में यह बात कोई साधारण फिकरेबाजी नहीं है, जो लोग इधर-उधर उपयोग करते रहते हैं। यहां यह बात खास तौर से ध्यान रखे जाने की जरूरत है कि बचत और निवेश करने वाले को यह समझना चाहिए कि चीजें कैसे काम करती हैं। बैंकिंग, बीमा, शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड की बातें समझ पाना आम लोगों के लिए काफी कठिन होता है। इसलिए हम प्राय: उन लोगों की मंशा और लक्ष्य को समझ नहीं पाते हैं, जिनके साथ हम इस क्षेत्र में व्यवहार कर रहे होते हैं।
चीजें कैसे काम करती हैं, इस चीज का पूरा खाका समझे बिना कोई व्यक्ति सामने आने वाली समस्याओं से उचित तरीके से नहीं निपट सकता है। मैंने कहीं पढ़ा था कि जब कोई कार चाबी घुमाने पर स्टार्ट नहीं होती है, तो अधिकतर चालक चाबी को जोड़ से घुमाते हैं। उस पर और ताकत लगाते हैं। उनके दिमाग में कहीं यह बात पैठी होती है कि चाबी घुमाने से कार स्टार्ट होती है। सच्चाई हालांकि यह है कि चाबी सिर्फ इलेक्टिक स्विच होती है। यह वैसा ही होगा जैसे कि बल्ब से अधिक रोशनी पाने के लिए आप स्विच को जोड़ से दबाएं। ईमेल के शुरुआती दिनों में मेरे एक दोस्त का मानना था कि यदि आप अपने ईमेल मैसेज की फोंट साइज छोटी कर देंगे, तो आपका संदेश छोटा हो जाएगा और यह गंतव्य तक जल्दी पहुंच जाएगा। यह समझ पूरी तरह से गलत नहीं थी, बल्कि यह फैक्स की समझ थी, जो ईमेल पर लागू की जा रही थी।
हममें से अधिकतर लोगों के लिए पर्सनल फाइनेंशियल सर्विस के कारोबार की समझ हासिल करना काफी कठिन है, कम से कम कार खरीदने के मुकाबले तो निश्चित रूप से अधिक कठिन है। यदि आप यह बात अच्छी तरह से समझ पाते हैं कि कोई सेवा कैसे काम करती है, कौन उसे प्रदान करते हैं, कौन उसे बेचते हैं, वे पैसे कैसे बनाते हैं और वे अधिक पैसे बनाने के लिए किस प्रकार से प्रयास करते हैं और खास तौर से यह कि इस पूरी योजना में आप कैसे फिट हो रहे हैं, तभी आप एक प्रभावी और स्मार्ट फैसले ले सकते हैं।
निवेश करके संपत्ति को बढ़ाना अधिकतर लोग चाहते हैं। लेकिन बड़ी सफलता उन्हें ही मिलती है, जो पूरी प्रणाली को समझते हैं। यह समझना जरूरी है कि पूरी प्रक्रिया में शामिल हर पक्ष किस मंशा के साथ काम कर रहा है और अपने फायदे निकालने और उसे बढ़ाने के लिए वह क्या-क्या कर रहा है। यह भी समझना जरूरी है कि इस पूरी योजना में आपके लिए क्या संभावना निकलती है। इसके बाद ही आप चतुराई भरे फैसले ले सकते हैं।