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जन धन योजना ने भारत की वित्तीय साक्षरता की नींव के रूप में व्यापक रूप से समाज को प्रभावित किया है - सुरेश प्रभु

जन धन योजना ने भारत की वित्तीय साक्षरता की नींव के रूप में व्यापक रूप से समाज को प्रभावित किया है - सुरेश प्रभु

"एवोक इंडिया फाउंडेशन द्वारा...Anurag Tiwari

"एवोक इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित इंटरनेशनल फाइनेंशियल लिटरेसी कॉन्क्लेव 2023 में वैश्विक विशेषज्ञों ने वित्तीय समावेशन चुनौतियों पर की विस्तृत चर्चा

नई दिल्ली, 24 नवंबर 2023, एवोक इंडिया फाउंडेशन द्वारा इंटरनेशनल फाइनेंशियल लिटरेसी कॉन्क्लेव 2023 (#IFLC2023) का छठा संस्करण 24 नवंबर, 2023 को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित हुआ। कॉन्क्लेव का यह संस्करण, व्यक्तिगत और ऑनलाइन भागीदारी दोनों के साथ एक हाइब्रिड फॉर्मेट में आयोजित हुआ। कॉन्क्लेव "फाइनशियल इंक्लूजन: ब्रिजिंग द गैप" (वित्तीय समावेशन - अंतराल को को कम करना) विषय पर आधारित। इस आयोजन में शिक्षा, उद्योग और सरकार से 32 से अधिक प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भारत में वित्तीय समावेशन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर संबोधन व चर्चा की।

कॉन्क्लेव की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ औपचारिक रूप से शुरू हुई तथा सम्मानित अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि - भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने जूम के माध्यम से कॉन्क्लेव को संबोधित किया। एवोक इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष-सलाहकार बोर्ड के प्रोफेसर सुब्रत चक्रवर्ती ने स्वागत भाषण दिया। स्वागत भाषण में उन्होंने कॉन्क्लेव के दौरान होने वाली व्यावहारिक चर्चाओं के लिए माहौल तैयार किया। कार्यक्रम के दौरान बहुप्रतीक्षित जर्नल 2023 का अनावरण हुआ। यह एक उल्लेखनीय अवसर रहा, जो वित्तीय साक्षरता को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। सलाहकार बोर्ड के सम्मानित सदस्य ए.के. सिंह ने उद्घाटन सत्र का औपचारिक समापन करते हुए धन्यवाद प्रस्ताव के माध्यम से संगठन की ओर से आभार व्यक्त किया।

ज़ूम के माध्यम से दिए गए अपने वर्चुअल संबोधन में, मुख्य अतिथि भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने व्यावहारिक वित्तीय शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विशेष रूप से जन धन योजना जैसी पहल पर प्रकाश डाला और इसे वित्तीय साक्षरता में भारत की परिवर्तनकारी यात्रा के लिए महत्पूर्ण व मजबूत आधार बताया। प्रभु ने आर्थिक क्षेत्र से आगे बढ़कर व्यापक प्रभाव के रूप में सामाजिक परिवर्तन पर जोर दिया।

एवोक इंडिया के संस्थापक और अध्यक्ष प्रवीण कुमार द्विवेदी ने एक आँकड़ा साझा करते हुए वित्तीय साक्षरता के प्रसार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "भारत में केवल 24 प्रतिशत लोग वित्तीय रूप से साक्षर हैं। स्टैंडर्ड एंड पूअर्स फाइनेंशियल सर्विसेज एलएलसी (एसएंडपी) के एक वैश्विक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है कि दक्षिण एशियाई देशों में 25% से भी कम व्यस्क वित्तीय साक्षर हैं।

प्रवीण द्विवेदी ने वित्तीय साक्षरता को आम भारतीय के लिए प्राथमिकता बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए बताया कि भारत की 76% वयस्क आबादी में बुनियादी वित्तीय अवधारणाओं की भी समझ नहीं है।




सीएफएल, आरबीआई परियोजना की नोडल अधिकारी सुनीता पॉल ने भी ग्रामीण समुदायों में वित्तीय समावेशन के लिए विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं में वित्तीय साक्षरता जागरूकता के महत्व के बारे में उल्लेख किया।

प्रतिष्ठित वक्ता अनंत नारायण ने विनियमन से परे सेबी की बहुमुखी भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बचतकर्ताओं को निवेशकों के रूप में विकसित होने के लिए प्रोत्साहित करने के सेबी के मिशन पर जोर दिया, जिससे पूंजी निर्माण में योगदान दिया जा सके। डॉ. प्रभाकर साहू ने इन अंतर्दृष्टियों का विस्तार करते हुए बताया कि कैसे जन धन योजना के परिणामस्वरूप भारतीयों के लिए 50,000 बैंक खाते खोले गए, जिससे पारदर्शिता और दक्षता में वृद्धि हुई। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि भारतीय अब वैश्विक स्तर पर 42% डिजिटल लेनदेन में योगदान करते हैं, जिसमें जन धन योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

पहले पैनल में हेमेंद्र माथुर की अध्यक्षता में कृषि क्षेत्र पर एक केंद्रित चर्चा में किसानों के वित्तीय समावेशन की अनिवार्य आवश्यकता पर जोर दिया गया। पैनलिस्टों में सिराज हुसैन आईएएस (सेवानिवृत्त), डॉ. हर्ष कुमार भनवाला और संजीव अस्थाना जैसे वक्ता शामिल थे, जिन्होंने कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

दूसरे पैनल चर्चा, "युवा: जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए वित्तीय समावेशन का लाभ उठाना" में सीएस तृप्ति कपाड़िया, आशीष पी सोमैया, फेरिस वी, शिवम बाथम और मोनिका हालन जैसे वक्ता शामिल थे। वक्ताओं का विविध समूह वित्तीय समावेशन और युवा जनसांख्यिकीय की क्षमता को उजागर करने में इसकी भूमिका के विषय पर विस्तृत चर्चा की।

इस पैनल चर्चा के दौरान, स्कोप के संस्थापक और सीईओ अप्पल्ला साईकिरन ने वित्तीय साक्षरता के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि "वित्तीय साक्षरता बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पैसा कमाना और पैसे का प्रबंधन करना दो अलग-अलग चीजें हैं।" अनकेनिया ने आर्थिक विकास के लिए सामूहिक जिम्मेदारी और व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन की भूमिका को रेखांकित किया। इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल लिटरेसी, सिंगापुर के मास्टर ट्रेनर श्री फेरिस वी ने इस बात पर जोर दिया कि वित्तीय समावेशन बदलाव का उत्प्रेरक है, जिसमें वित्तीय साक्षरता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

वंदना भटनागर की अध्यक्षता में तीसरे पैनल चर्चा, "महिलाओं के वित्तीय समावेशन के माध्यम से लैंगिक अंतर को कम करना" में बेहतर वित्तीय पहुंच के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की रणनीतियों पर जोर दिया गया। दक्षिता दास, नैना लाल किदवई, केएस राव और डॉ. अनिता मधोक सहित पैनलिस्टों ने वित्तीय साक्षरता पर ध्यान देने के साथ लैंगिक अंतर को कम करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण पर चर्चा की।

नैना किदवई ने महिलाओं को अधिक आर्थिक शक्ति देने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इसकी शुरुआत बुनियादी वित्तीय साक्षरता से की जा सकती है। उन्होंने महिलाओं द्वारा सफल ऑनलाइन व्यवसाय वृद्धि की सफलताओं को साझा करते हुए कहा कि बैंक खाते खोल देना ही पर्याप्त नहीं है। वित्तीय गतिविधियों के लिए मोबाइल फोन का प्रभावी उपयोग भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

चौथे पैनल ने एमएसएमई क्षेत्र में वित्तीय समावेशन में अंतर को संबोधित किया, चिंतन खन्ना ने चर्चा का संचालन किया। पैनल में श्री ज्योति प्रकाश गादिया, चंद दास, नीरज सिंघल और अभिषेक कुमार शामिल थे, जिन्होंने एमएसएमई क्षेत्र में वित्तीय समावेशन, चुनौतियों और संभावित समाधानों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर व्यापक चर्चा की।

समापन सत्र में, वित्तीय समावेशन और समग्र विकास को बढ़ावा देने में बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया। विवेक लॉ द्वारा संचालित, पैनल चर्चा में रजनीश कुमार, देवेश माथुर, शांतनु श्रीवास्तव, डॉ. कामाख्या नारायण सिंह और डेनी वी थॉमस जैसी प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल थीं।

कार्यक्रम में फाइनेंशियल इंक्लूजन एंड लिटरेसी लीडरशिप पुरस्कार 2023 प्रदान किए गए। इस पुरस्कार द्वारा वित्तीय समावेशन में योगदान देने वाले व्यक्तियों, संस्थानों और नवाचारों को सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार राष्ट्रव्यापी नामांकन के आधार पर एक प्रतिष्ठित जूरी द्वारा चुने गए योग्य विजेताओं और उपविजेताओं को प्रदान किए गए।

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