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कुंभ संक्रांति 2025, माघ मास का पवित्र पर्व, जानिए तिथि, महत्व और धार्मिक विधि

कुंभ संक्रांति 2025, माघ मास का पवित्र पर्व, जानिए तिथि, महत्व और धार्मिक विधि

हिंदू धर्म में संक्रांति का...PS

हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है। हर महीने सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति कहा जाता है। माघ मास में पड़ने वाली कुंभ संक्रांति को विशेष रूप से शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करता है, और यह समय धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।


कुंभ संक्रांति 2025 की तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कुंभ संक्रांति 13 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य सुबह 8:05 बजे कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। उदया तिथि और कुंभ राशि में सूर्य के गोचर को ध्यान में रखते हुए, यह संक्रांति विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।


कुंभ संक्रांति का महत्व

कुंभ संक्रांति हिंदू धर्म में आत्मा की शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक है। इस दिन स्नान, दान, और धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है। माघ मास में होने वाली यह संक्रांति पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य के लिए उत्तम मानी जाती है।


पौराणिक मान्यता के अनुसार:

इस दिन गंगा, यमुना, और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है।

कुंभ संक्रांति के दौरान किया गया दान सौ गुना फल देता है।

यह दिन अध्यात्म और भक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।


कुंभ संक्रांति पर धार्मिक कार्य और पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प:

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें। यदि नदी तक जाना संभव न हो, तो घर पर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।

2. सूर्य देव की पूजा:

इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। जल में लाल चंदन, लाल पुष्प और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।

3. दान और सेवा:

कुंभ संक्रांति के दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। तिल, गुड़, कंबल, और घी का दान विशेष रूप से पुण्यकारी होता है।

4. माघ मेला और कुंभ स्नान:

यदि संभव हो, तो प्रयागराज, हरिद्वार, या अन्य तीर्थ स्थलों पर माघ मेले के दौरान कुंभ स्नान करें। संगम पर स्नान का फल हजार यज्ञों के बराबर माना गया है।

कुंभ संक्रांति के दिन क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:

●धार्मिक अनुष्ठान और व्रत रखें।

●जरूरतमंदों की सहायता करें।

●सूर्य उपासना के साथ गीता और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।


क्या न करें:

●किसी का अपमान न करें।

●आलस्य से बचें और पूजा-पाठ में लापरवाही न करें।

●झूठ और हिंसा से दूर रहें।

●कुंभ संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व

कुंभ संक्रांति केवल धार्मिक कर्मकांडों का दिन नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर है। यह दिन धर्म, दान, और तपस्या के माध्यम से मानव जीवन को पवित्र और अर्थपूर्ण बनाने का प्रतीक है।

कुंभ संक्रांति 2025 का यह पवित्र अवसर भक्ति, साधना, और दान का संदेश देता है। इस दिन श्रद्धा और आस्था के साथ धार्मिक अनुष्ठान करें और अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भरें। कुंभ संक्रांति के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और ईश्वर की कृपा प्राप्त करें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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