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नए साल का पहला शनि प्रदोष व्रत 2025, भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा पाने का विशेष अवसर

नए साल का पहला शनि प्रदोष व्रत 2025, भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा पाने का विशेष अवसर

नया साल 2025 शिव भक्तों के लिए...PS

नया साल 2025 शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण शुभ अवसर लेकर आ रहा है। जनवरी महीने में पड़ने वाला पहला प्रदोष व्रत इस बार 11 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। चूंकि यह व्रत शनिवार को पड़ रहा है, इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष आराधना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।


शनि प्रदोष व्रत 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत का समय सूर्यास्त के बाद का होता है, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है। 11 जनवरी 2025 को प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन शनि ग्रह की अशुभता को दूर करने और भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।


प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है और यह दिन शिव भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने वाले भक्तों के जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। शनि प्रदोष व्रत का पालन करने से शनि दोष और कुंडली के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं।


शनि प्रदोष व्रत पर क्या करें?

1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें:

इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा:

भगवान शिव को बेलपत्र, गंगाजल, चंदन, धतूरा, और अक्षत अर्पित करें। मां पार्वती को लाल पुष्प और सुहाग सामग्री चढ़ाएं।

3. पार्वती चालीसा का पाठ करें:

पूजा के बाद मां पार्वती की चालीसा का पाठ अवश्य करें। इससे दांपत्य जीवन सुखी होता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

4. व्रत का पालन करें:

इस दिन फलाहार या निर्जला व्रत रखें। शाम को प्रदोष काल में शिव आरती करें।

5. दान और सेवा:

जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करें। यह पुण्य का कार्य शनि के प्रभाव को भी शांत करता है।


शनि प्रदोष व्रत पर क्या न करें?

1. मांसाहार और नशा:

इस दिन मांसाहार और नशे से पूरी तरह बचें।

2. नकारात्मकता:

किसी के प्रति बुरा बोलने या सोचने से बचें।

3. आलस्य:

इस दिन आलस्य करने और पूजा में लापरवाही से भगवान शिव की कृपा नहीं मिलती।

पार्वती चालीसा का महत्व

पार्वती चालीसा का पाठ करना शनि प्रदोष व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पाठ मां पार्वती की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-शांति लाने में सहायक होता है। ऐसा माना जाता है कि पार्वती चालीसा का पाठ करने से घर में कलह समाप्त होता है, और दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है।

आध्यात्मिक लाभ

शनि प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना का श्रेष्ठ दिन है। इस दिन पूजा और व्रत के माध्यम से भक्त अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं। इसके साथ ही, यह व्रत जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाने में सहायक है।

इस पवित्र अवसर पर पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें। उनके आशीर्वाद से न केवल मनोकामनाएं पूरी होंगी, बल्कि जीवन में हर क्षेत्र में सफलता भी प्राप्त होगी।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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