पुत्रदा एकादशी 2025, पंचमुखी दीया जलाने का महत्व, जानें इससे जुड़े लाभ और विधि
- In मुख्य समाचार 8 Jan 2025 1:35 PM IST
पुत्रदा एकादशी, भगवान विष्णु की उपासना का एक विशेष दिन है, जो श्रद्धालुओं के लिए सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत न केवल संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए फलदायी होता है, बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं में भी सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल प्रदान करता है। इस पवित्र दिन पर पंचमुखी दीया जलाने की परंपरा का विशेष महत्व है। पंचमुखी दीया न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है, बल्कि स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। आइए जानते हैं, इस परंपरा का रहस्य और लाभ।
पंचमुखी दीया जलाने का महत्व:
पंचमुखी दीया का पांच मुखों वाला आकार पांच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – का प्रतीक है। ये पांच तत्व सृष्टि और मानव शरीर की रचना में अहम भूमिका निभाते हैं। पंचमुखी दीया जलाने से इन तत्वों में संतुलन स्थापित होता है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
आध्यात्मिक लाभ:
1. भगवान विष्णु की कृपा:
पंचमुखी दीया जलाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। यह आराधना का एक ऐसा माध्यम है, जिससे साधक अपनी मनोकामनाओं को पूरा कर सकता है।
2. संतान प्राप्ति:
पुत्रदा एकादशी के दिन पंचमुखी दीया जलाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह दीया संतान की खुशहाली और सुरक्षा का भी प्रतीक है।
सामाजिक और आर्थिक लाभ:
1. धन और समृद्धि:
माना जाता है कि इस दीये की ज्योति घर में लक्ष्मी का वास कराती है। यह आर्थिक समस्याओं का नाश करता है और धन के प्रवाह को बढ़ाता है।
2. मानसिक शांति:
पंचमुखी दीया की रोशनी घर के नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है, जिससे परिवार में मानसिक शांति और संतुलन बना रहता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
पंचमुखी दीया जलाने से आसपास के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसकी ज्योति से उत्पन्न ऊर्जा रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।
पंचमुखी दीया जलाने की विधि:
1. दीया तैयार करें:
पंचमुखी दीया मिट्टी, तांबा या पीतल का हो सकता है। इसे शुद्ध घी या तिल के तेल से भरें।
2. पांच बत्तियां लगाएं:
दीये में पांच बत्तियां बनाएं, जो अलग-अलग दिशाओं में जलें। यह पांचों दिशाओं को शुद्ध और ऊर्जा से भरने का प्रतीक है।
3. पूजा स्थान पर रखें:
दीये को भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने रखें। इसके साथ तुलसी के पत्ते और फूल अर्पित करें।
4. मंत्र जाप करें:
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे दीये की ऊर्जा बढ़ती है और साधना का प्रभाव दोगुना होता है।
5. संकल्प लें:
दीया जलाने के बाद अपनी मनोकामनाओं के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करें।
पुत्रदा एकादशी पर पंचमुखी दीया जलाने का पौराणिक संदर्भ:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। पंचमुखी दीया जलाने का उल्लेख कई धर्मग्रंथों में मिलता है, जहां इसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ जुड़ने का माध्यम बताया गया है।
पुत्रदा एकादशी के दिन पंचमुखी दीया जलाने की परंपरा केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि यह जीवन में संतुलन, समृद्धि और सुख का प्रतीक है। यह दीपक हमें हमारे जीवन के पांच मूलभूत तत्वों से जोड़ता है और भगवान विष्णु की कृपा का मार्ग प्रशस्त करता है। इस एकादशी पर पंचमुखी दीया जलाकर अपनी आस्था को प्रबल करें और जीवन में सकारात्मकता का स्वागत करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।