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मकर संक्रांति 2025, विशेष योग और शुभ कार्य, जानें पूजा का महत्व और दान का महत्व

मकर संक्रांति 2025, विशेष योग और शुभ कार्य, जानें पूजा का महत्व और दान का महत्व

मकर संक्रांति का पर्व भारतीय...PS

मकर संक्रांति का पर्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक पवित्र और मंगलकारी माना जाता है। हर साल यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ का पर्व है, बल्कि खगोलीय दृष्टि से भी शुभ प्रभाव डालता है।

मकर संक्रांति 2025 की तिथि और महत्व:

2025 में मकर संक्रांति का पर्व विशेष ज्योतिषीय योगों के साथ आएगा। इस साल सूर्य का मकर राशि में प्रवेश सोमवार, 15 जनवरी को होगा। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन सूर्य देव के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा अत्यंत फलदायी होगी। सूर्य देव, जिन्हें ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है, इस दिन अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं।

मंगलकारी योग:

मकर संक्रांति 2025 में कई दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी विशेष बना रहे हैं:

1. सर्वार्थ सिद्धि योग: इस योग में किए गए कार्य विशेष रूप से सफल होते हैं।

2. धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग: यह नक्षत्र दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।

3. विष्णु योग: इस योग में भगवान विष्णु की पूजा से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

पूजा विधि और महत्व:

मकर संक्रांति पर सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन गंगा स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है। स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल, कुमकुम, अक्षत और फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करें।

भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते, फल, पंचामृत और घी का दीपक अर्पित करना अत्यंत फलदायी होता है। इस दिन की गई पूजा न केवल भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करती है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ भी देती है।

दान और पितरों का तर्पण:

मकर संक्रांति का पर्व दान-पुण्य के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े, तिल, गुड़, घी और द्रव्य का दान करना शुभ फल देता है। साथ ही, पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। माना जाता है कि इस दिन किए गए तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

शारीरिक और मानसिक लाभ:

मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक कष्टों को भी दूर करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन का सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर माहौल साधकों को आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।

खगोलीय महत्व:

मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ते हैं, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह ऋतुओं के बदलाव का भी संकेत है, जो पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित करता है।

मकर संक्रांति 2025 सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने का अवसर है। पूजा-पाठ, दान और तर्पण के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से समृद्ध बना सकता है। ऐसे में इस पर्व को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से मनाना न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि मानवता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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