महाकुंभ 2025, मकर संक्रांति पर दूसरा शाही स्नान, जानें पुण्यकाल और महापुण्यकाल का सही समय
- In मुख्य समाचार 9 Jan 2025 4:07 PM IST
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर 2025 के महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक आयोजन के रूप में आयोजित किया जाएगा। यह दिन गंगा में स्नान करने और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। श्रद्धालु इस अवसर पर स्नान कर अपने जीवन के पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति का प्रयास करते हैं। आइए जानते हैं इस विशेष दिन के पुण्यकाल और महापुण्यकाल का समय और इस आयोजन का महत्व।
मकर संक्रांति पर दूसरा शाही स्नान
महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है। इस बार दूसरा शाही स्नान 15 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित किया जाएगा। यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे धार्मिक दृष्टि से इस दिन को पवित्र माना जाता है।
शाही स्नान का महत्व
शाही स्नान, जिसे साधु-संतों और अखाड़ों के प्रमुख स्नान के रूप में जाना जाता है, कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण होता है।
माना जाता है कि शाही स्नान के दौरान गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
यह दिन विशेष रूप से आत्मा की शुद्धि और भगवान के करीब जाने का अवसर प्रदान करता है।
पुण्यकाल और महापुण्यकाल का समय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का पुण्यकाल और महापुण्यकाल अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
पुण्यकाल:
15 जनवरी 2025 को सुबह 7:15 बजे से शाम 5:30 बजे तक।
महापुण्यकाल:
सुबह 8:30 बजे से 10:45 बजे तक।
इन विशेष समयों के दौरान स्नान और पूजा-अर्चना करने से कई गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।
महाकुंभ में शाही स्नान की तैयारियां
श्रद्धालुओं की संख्या:
लाखों की संख्या में भक्त और साधु-संत इस दिन हरिद्वार, प्रयागराज और अन्य कुंभ स्थलों पर पहुंचेंगे।
सुरक्षा व्यवस्था:
प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। कुंभ क्षेत्र में पुलिस बल, सीसीटीवी निगरानी और मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।
सुविधाएं:
स्नान घाटों की साफ-सफाई और जल की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन के लिए वॉलंटियर्स की तैनाती की गई है।
धार्मिक अनुष्ठान और पूजन विधि
1. स्नान:
पुण्यकाल में गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
2. सूर्य अर्घ्य:
स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें।
3. दान-पुण्य:
इस दिन तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र और धन का दान अत्यंत शुभ माना गया है।
4. गायत्री मंत्र का जाप:
पूजा-अर्चना के दौरान गायत्री मंत्र और सूर्य मंत्र का उच्चारण करें।
मकर संक्रांति और कुंभ का संबंध
मकर संक्रांति सूर्य उपासना का पर्व है, और कुंभ मेला हिंदू धर्म के चार प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है। जब इन दोनों का संयोग होता है, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक क्रियाओं के लिए बल्कि आत्मा और शरीर की शुद्धि के लिए भी उपयुक्त है।
मकर संक्रांति पर महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान भक्तों के लिए आध्यात्मिकता और पवित्रता का प्रतीक है। पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान, दान और पूजा-अर्चना से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाकर इस अद्वितीय आयोजन का हिस्सा बनेंगे।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।