महाकुंभ 2025, प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में लाखों श्रद्धालु कर रहे पवित्र स्नान
- In मुख्य समाचार 13 Jan 2025 11:53 AM IST
प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ सोमवार से हो चुका है, और इसका उल्लास देश-विदेश में बसे करोड़ों श्रद्धालुओं के दिलों में छाया हुआ है। सुबह से ही संगम तट पर भक्तों का तांता लग गया। सुबह 7:30 बजे तक लगभग 35 लाख श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगा चुके थे। महाकुंभ के इस अनोखे आयोजन में शाही स्नान का विशेष महत्व है, जो आध्यात्मिकता, परंपरा, और संस्कृति का प्रतीक है।
प्रयागराज का महत्व: त्रिवेणी संगम की पवित्रता
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का उत्सव है। प्रयागराज को त्रिवेणी संगम के कारण विशेष स्थान प्राप्त है, जहां गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है। ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथों में इन तीन नदियों के संगम को मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना गया है।
त्रिवेणी संगम में स्नान करने से जीवन के पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है। यहां के पवित्र जल को अमृत तुल्य माना गया है। महाकुंभ का महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है कि यह केवल बारह वर्षों में एक बार आयोजित होता है।
शाही स्नान का आध्यात्मिक महत्व
महाकुंभ में शाही स्नान को विशेष दर्जा प्राप्त है। इस दिन विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत और नागा साधु पहले स्नान करते हैं। इसके बाद श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हैं। मान्यता है कि शाही स्नान के दौरान गंगा का जल और भी पवित्र हो जाता है, जिससे आत्मा को मुक्ति और जीवन में सकारात्मकता प्राप्त होती है।
महाकुंभ के प्रमुख घाटों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के पवित्र घाटों का विशेष महत्व है। अगर आप भी इस महायोजना में शामिल हो रहे हैं, तो इन घाटों की महत्ता को अवश्य समझें:
1. संगम घाट: यह मुख्य स्नान स्थल है, जहां तीनों नदियों का संगम होता है।
2. रामघाट: यह घाट भगवान राम से जुड़ा है और आध्यात्मिक दृष्टि से अति पवित्र माना जाता है।
3. अकबर का किला घाट: ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोणों से यह घाट महत्वपूर्ण है।
4. दशाश्वमेध घाट: यहां स्नान से अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ में आस्था और संस्कृति का संगम
महाकुंभ न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अद्वितीय आयोजन है। यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होकर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। साधु-संतों के प्रवचन, धार्मिक अनुष्ठान, और मंत्रोच्चारण महाकुंभ के वातावरण को दिव्यता से भर देते हैं।
महाकुंभ 2025: क्या रखें ध्यान?
महाकुंभ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को भीड़ को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए। संगम पर स्नान के बाद गंगा जल को घर लाना शुभ माना जाता है। साथ ही, इस दौरान स्वच्छता बनाए रखना भी आवश्यक है ताकि इस पवित्र आयोजन की गरिमा बनी रहे।
महाकुंभ का यह पर्व न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और भारतीय संस्कृति के गौरव का प्रतीक भी है। अगर आप इस भव्य आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं, तो यह जीवनभर की स्मृति बन जाएगी।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।