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मकर संक्रांति 2025, सूर्य देव के उत्तरायण होने का पर्व और इसकी आध्यात्मिक महत्ता

मकर संक्रांति 2025, सूर्य देव के उत्तरायण होने का पर्व और इसकी आध्यात्मिक महत्ता

मकर संक्रांति, हिंदू धर्म में...PS

मकर संक्रांति, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला पर्व, इस साल 15 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन सूर्य देव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है और इसे सूर्य देव के उत्तरायण होने की शुरुआत माना जाता है। इस शुभ अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है, जो इसे धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अनूठा बनाता है।

सूर्य देव और मकर संक्रांति का संबंध

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव हर साल 12 राशियों में गोचर करते हैं। मकर संक्रांति वह दिन है जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह खगोलीय घटना सिर्फ ज्योतिषीय महत्व ही नहीं रखती, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी खास है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को उत्तरायण की शुरुआत कहा जाता है, जो प्रकाश, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।

मकर संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व

मकर संक्रांति को धर्म, तप, और दान का पर्व माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी और कावेरी, में स्नान करने से जीवन के पापों का नाश होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मकर संक्रांति पर स्नान और दान का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है।

•स्नान का महत्व: मकर संक्रांति पर सूर्योदय के समय नदी स्नान आत्मा की शुद्धि का मार्ग है।

•दान की परंपरा: इस दिन तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। विशेष रूप से तिल-गुड़ के लड्डू और खिचड़ी का दान करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है।

उत्तरायण का प्रभाव और महत्व

उत्तरायण वह अवधि है जब सूर्य दक्षिण दिशा से उत्तर की ओर गमन करते हैं। इसे शुभ और मंगलकारी समय माना जाता है। पुराणों में उत्तरायण का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह देवताओं का दिन और शुभ कार्यों की शुरुआत का समय है। इसी समय से ऋतुएं भी बदलने लगती हैं और दिन बड़े होने लगते हैं।

मकर संक्रांति की परंपराएं और रीति-रिवाज

मकर संक्रांति पूरे देश में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है।

उत्तर भारत: तिल-गुड़ की मिठाई और खिचड़ी बनाकर भगवान सूर्य को अर्पित की जाती है।

पश्चिम भारत: इसे "उत्तरायण" के रूप में पतंगबाजी के साथ मनाया जाता है।

दक्षिण भारत: इसे "पोंगल" के रूप में फसल उत्सव के रूप में मनाते हैं।

पूर्वी भारत: इसे "माघ बिहू" के नाम से मनाया जाता है।

धार्मिक दृष्टि से मकर संक्रांति का संदेश

मकर संक्रांति केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता, परिश्रम, और दान की भावना को जागृत करने का पर्व है। सूर्य देव ऊर्जा और शक्ति के प्रतीक हैं, और इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन में नई ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है।

मकर संक्रांति 2025: जीवन में एक नई शुरुआत का अवसर

मकर संक्रांति न केवल खगोलीय परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन को नई दिशा देने का अवसर भी प्रदान करता है। यह दिन हमें सूर्य देव की उपासना के माध्यम से अनुशासन, त्याग, और दान के महत्व को सिखाता है।

इस पावन दिन पर आप भी पवित्र स्नान, सूर्य को अर्घ्य, और दान-पुण्य करके अपनी जीवन यात्रा को शुभता और सकारात्मकता से भर सकते हैं। मकर संक्रांति के इस पर्व पर भगवान सूर्य से यह प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में प्रकाश और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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