मौनी अमावस्या 2025, महाकुंभ का दिव्य अमृत स्नान और पितृ तर्पण का विशेष महत्व
- In मुख्य समाचार 17 Jan 2025 12:02 PM IST
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है, और इस बार यह तिथि और भी खास होने वाली है, क्योंकि 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी इसी दिन संपन्न होगा। यह दुर्लभ संयोग वर्षों बाद बना है, इसलिए लाखों श्रद्धालु इस पावन अवसर पर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे।
मौनी अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
मौनी अमावस्या को मौन रहकर साधना करने, दान-पुण्य करने और पवित्र नदियों में स्नान करने का अत्यधिक महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितृ लोक से पूर्वज धरती पर आते हैं और यदि श्रद्धापूर्वक कुछ विशेष कार्य किए जाएं तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितरों की कृपा पाने के लिए करें ये शुभ कार्य
1. पवित्र नदी में स्नान – त्रिवेणी संगम या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
2. पितृ तर्पण एवं श्राद्ध – इस दिन गंगा जल, काले तिल और चावल से पितरों का तर्पण करना विशेष लाभकारी माना जाता है। इससे पितृ दोष शांत होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
3. दान-पुण्य – जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ और कंबल का दान करना बेहद फलदायी होता है।
4. मौन व्रत एवं ध्यान – मौनी अमावस्या पर मौन रहकर भगवान का ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और आत्मिक शुद्धि होती है।
5. गाय एवं पक्षियों को भोजन – इस दिन गौ सेवा और पक्षियों को अन्न खिलाने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष महत्व
इस वर्ष महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन दूसरा अमृत स्नान होगा, जो भक्तों के लिए एक दुर्लभ अवसर है। मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। संत-महात्माओं और साधु-संतों का महासंगम इस दिन कुंभ में देखने को मिलेगा।
क्यों खास है यह संयोग?
मौनी अमावस्या और महाकुंभ का यह दिव्य मेल कई वर्षों बाद बना है, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है। जो भी श्रद्धालु इस अवसर पर प्रयागराज में स्नान और दान-पुण्य करेगा, उसे अनंत पुण्य लाभ मिलेगा।
मौनी अमावस्या न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का भी उत्तम अवसर है। इस शुभ दिन पर किए गए पुण्य कार्य जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में सहायक होते हैं। विशेष रूप से, इस वर्ष महाकुंभ के साथ इस पर्व का संयोग इसे और भी पावन और शुभ बना देता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।