मकर संक्रांति 2025, जानें 13 या 14 जनवरी को कब मनाया जाएगा यह पावन पर्व और क्या है सही तिथि
- In मुख्य समाचार 6 Jan 2025 4:30 PM IST
मकर संक्रांति, जिसे सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक माना जाता है, भारतीय संस्कृति में सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। हर साल माघ मास में मनाया जाने वाला यह पर्व पवित्रता, दान, और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश देता है। हालांकि, इस साल 2025 में तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति है—क्या यह पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा या 14 जनवरी को? आइए, इस लेख में जानते हैं मकर संक्रांति की सही तिथि और स्नान-दान के शुभ मुहूर्त के बारे में।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे सूर्य के उत्तरायण होने की शुरुआत माना जाता है, जो दिन को लंबा और रात को छोटा करने का संकेत है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान-पुण्य करने, और विशेष पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। यह पर्व देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे:
पोंगल (तमिलनाडु)
लोहड़ी (पंजाब)
उत्तरायणी (उत्तराखंड)
खिचड़ी (बिहार और उत्तर प्रदेश)
13 या 14 जनवरी: सही तिथि का निर्णय कैसे होता है?
मकर संक्रांति की तिथि हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय (संक्रांति काल) के आधार पर निर्धारित होती है। यदि सूर्य का गोचर 13 जनवरी की रात को हो, तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है। इसी प्रकार, यदि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 13 जनवरी के दिन हो, तो यह पर्व उसी दिन मनाया जाता है।
2025 में, सूर्य का मकर राशि में गोचर 13 जनवरी की रात को होगा। इसलिए, धार्मिक परंपराओं और पंचांगों के अनुसार, स्नान-दान और पूजा का शुभ समय 14 जनवरी को होगा।
मकर संक्रांति 2025: स्नान और दान का शुभ मुहूर्त
पुण्य काल: 14 जनवरी 2025 को प्रातः 7:19 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक।
महापुण्य काल: प्रातः 8:10 बजे से 9:40 बजे तक।
इस समयावधि में पवित्र नदियों में स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति पर किए जाने वाले विशेष कार्य
1. पवित्र स्नान:
गंगा, यमुना, या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
2. दान-पुण्य:
तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र और धन का दान करना अत्यंत पुण्यदायक है।
गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना इस दिन विशेष फलदायी माना जाता है।
3. खिचड़ी का भोग:
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित करें और फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
4. सूर्य पूजा:
सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी उपासना करें। साथ ही "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।
क्षेत्रीय परंपराएं और उत्सव
उत्तर भारत: पतंगबाजी का आयोजन होता है और तिल-गुड़ से बने लड्डू बांटे जाते हैं।
पश्चिम बंगाल: गंगा सागर मेले का आयोजन होता है।
तमिलनाडु: यहां इसे पोंगल के रूप में चार दिनों तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
गुजरात: आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाई जाती हैं।
मकर संक्रांति 2025 को लेकर तिथि में असमंजस सूर्य के मकर राशि में प्रवेश समय के कारण होता है। इस वर्ष, यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। स्नान-दान और पूजा का सही समय जानकर, आप इस शुभ दिन का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।