आमलकी एकादशी 2025, 10 मार्च को शुभ संयोग के साथ होगा यह व्रत, जानें महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है और वर्षभर में 24 एकादशियां आती हैं, जिनमें से फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आमलकी एकादशी 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, 2025 में आमलकी एकादशी 10 मार्च, सोमवार को पड़ेगी। इस दिन विशेष योग और शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे व्रत और पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
आमलकी एकादशी का धार्मिक महत्व
1. यह एकादशी संपूर्ण मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मानी जाती है।
2. इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
3. जो व्यक्ति यह व्रत श्रद्धा और विधि-विधान से करता है, उसे पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
4. आमलकी एकादशी का व्रत स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करता है।
आमलकी एकादशी की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक समय नर-नारायण ऋषि ने यह व्रत किया था और इसकी महिमा बताई थी। कहते हैं कि इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन और कथा सुनने से जीवन के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं।
आमलकी एकादशी 2025 के शुभ योग
इस वर्ष आमलकी एकादशी पर कुछ महत्वपूर्ण शुभ संयोग बन रहे हैं, जो व्रत और पूजा के प्रभाव को और अधिक शुभ बना देंगे—
* सर्वार्थ सिद्धि योग – यह योग इस दिन किए गए हर कार्य को सफल बनाता है।
* धृति योग – मानसिक शांति और इच्छाशक्ति को मजबूत करने में सहायक होता है।
आमलकी एकादशी का व्रत और पूजा विधि
. स्नान और संकल्प: प्रातः काल उठकर पवित्र स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
. भगवान विष्णु की पूजा: पीले वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष दीपक जलाएं।
. आंवले के पेड़ की पूजा: आंवले के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और पेड़ की परिक्रमा करें।
. भोग अर्पण: भगवान विष्णु को तुलसी पत्र और पीले फल अर्पित करें।
. रात्रि जागरण और कीर्तन: इस दिन रातभर भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है।
. पारणा: अगले दिन द्वादशी को व्रत खोलें और गरीबों को भोजन कराकर दान दें।
आमलकी एकादशी व्रत केवल धार्मिक आस्था का ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का भी एक माध्यम है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और उसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है। यदि आप इस वर्ष 10 मार्च 2025 को यह व्रत रखने जा रहे हैं, तो इसकी संपूर्ण विधि और शुभ संयोग का ध्यान अवश्य रखें, जिससे इसका पूर्ण फल प्राप्त किया जा सके।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।